हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ के महीने को बहुत धार्मिक महीना माना गया है। माघ महीने में जो कृष्ण पक्ष की एकादशी पड़ती है। उसे षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) कहते हैं। षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में बहुत विशेष मानी जाती है। षटतिला एकादशी का दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित किया गया है। षटतिला एकादशी पर भगवान श्री हरि विष्णु के पूजन और व्रत का विधान है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) के दिन व्रत और पूजन से श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन व्रत और पूजन से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही धन धान्य बढ़ता है। षटतिला एकादशी व्रत का पारण भी सही विधि से किया जाना चाहिए। मान्यता है कि सही विधि से व्रत के पारण से ही उसका फल प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि षटतिला एकादशी के व्रत के पारण की विधि क्या है।
व्रत पारण का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, षटतिला एकादशी के व्रत का पारण 26 जनवरी को किया जाएगा। 26 जनवरी को व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो जाएगा। व्रत के पारण का ये शुभ मुहूर्त 9 बजकर 21 मिनट रहेगा।
षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) व्रत पारण की विधि
– षटतिला एकादशी के अगले दिन यानी 26 जनवरी को सबसे पहले स्नान करें।
– स्ना्न के बाद विधि-विधान से श्री हरि विष्णु का पूजन करें।
– इसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। फिर व्रत का पारण करें।
– पूजा का जो भोग है उसे व्रत पारण के लिए पहले निवाले के रूप में ग्रहण करें।
– फिर चावल खाएं और सात्विक भोजन कर व्रत का पारण करें।
– व्रत पारण में तामसिक भोजन भूलकर भी करें। ऐसा करने से व्रत-पूजा व्यर्थ हो जाती है।
– एकादशी व्रत द्वादशी तिथि के समापन से पहले कर लें। ऐसा न करने पर पाप लगता है।