हरिद्वार महाकुंभ में बुधवार को बैसाखी और मेष संक्रांति के पर्व पर तीसरे और मुख्य शाही स्नान में 1314 लाख श्रद्धालु ही मोक्षदायिनी गंगा में पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे। महाकुंभ में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का बढ़ता खौफ भी आस्था पर हावी होता नजर आया।
पुलिस से मिले ताजा आंकडों के अनुसार, शाही स्नान पर्व पर 13-14 लाख लोगों ने गंगा में स्नान किया। जहां अखाडों से जुडे साधु संतों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ मुख्य स्नान घाट हर की पैड़ी पर अपने इष्ट देवों और अनुयायियों के साथ गंगा में स्नान किया तो वहीं हरिद्वार और ज्षिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर आम श्रद्धालुओं ने नदी में डुबकी लगाई।
महाकुंभ मेले की व्यवस्था की स्वयं निगरानी करने वाले प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि शाही स्नान पर्व निर्विघ्न संपन्न हो गया। महाकुंभ मेले में बुधवार को पहुंचे स्नानार्थियों की यह संख्या सोमवार को सोमवती अमावस्या के पर्व पर आए 2530 लाख श्रद्धालुओं की संख्या की लगभग आधी और वर्ष 2010 में महाकुंभ में बैसाखी के पर्व पर आए एक करोड़ 60 लाख श्रद्धालुओं के मुकाबले लगभग चौदहवां हिस्सा ही है जो कोविड-19 के बढ़ते डर की तस्वीर पेश करता है।
देश की समुद्री तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बनेगा ‘ राष्ट्रीय समुद्री आयोग’
पुलिस महानिदेशक कुमार ने भी माना कि कोविड के डर का असर महाकुंभ मेले पर पड़ा है जिसकी तस्दीक आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं।
हालांकि, सभी 13 अखाड़ों के साधु संतों ने पूरी श्रद्धा के साथ गंगा में डुबकी लगाई। सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के साधु संत अपने पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में हर की पैडी ब्रहमकुंड पहुंचे जहां उन्होंने अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करने के बाद हरहर महादेव और गंगा मैया की जय के उदघोष के साथ शाही स्नान किया। उनके साथ आनंद अखाड़े के संतों ने भी शाही स्नान किया।
उसके बाद सबसे ज्यादा नागा संन्यासियों वाले जूना अखाड़ा, अग्नि और आवाहन अखाड़े के संतों ने हर हर महादेव का जयघोष करते हुए पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज की अगुवाई में शाही स्नान किया। इनके साथ ही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य संतों ने भी स्नान किया।
आइए जानते हैं नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में
इसके बाद महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतजनों ने हर की पैडी ब्रहमकुंड में शाही स्नान किया। इसके बाद शाही स्नान के लिए तीनों बैरागी अखाडेÞपंच निर्वाणी अणि अखाड़ा, पंच दिगम्बर अणि अखाड़ा और पंच निर्माेही अणि अखाड़े के संत हर की पैडी ब्रहमकुंड में पहुंचे।
पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन निर्वाण और इसके बाद श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण के साधु संतों ने स्नान किया। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने जयघोष करते हुए शाही स्नान किया।
इस दौरान पूरा क्षेत्र साधु संतों के रंग में डूबा नजर आया। हरकी पैड़ी पर दिनभर कभी हर हर महादेव , कभी गंगा मैया की जय तो कभी जय श्रीराम की गूंज सुनाई देती रही।
कुंभ क्षेत्र में लगी भीषण आग, कड़ी मशक्कत के बाद पाया काबू
शाही स्नान के लिए जाते साधु संतों पर उत्तराखंड सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर से लगातार पुष्पवर्षा की जाती रही जिससे वातावरण काफी मनोहारी और दिव्य बन गया। इससे पहले, सुबह सात बजे मेला प्रशासन ने मुख्य स्नान घाट हर की पैडी ब्रहमकुंड को पूरा खाली करा लिया जिससे पूरे दिन यहां सभी अखाडों के साधु संत शाही स्नान कर सकें। इसके अलावा, हर की पैडी के पास मालवीय घाट भी शाही स्नान के लिए आरक्षित रहा।
सुरक्षा की दृष्टि से 20 हजर से भी अधिक पुलिस बलों के जवान और बम निरोधक दस्ते मेला क्षेत्र में तैनात किए गए थे।
महाकुंभ शाही स्नान के दौरान आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए। हर की पैडी तथा अन्य घाटों पर महाकुंभ मेला प्रशासन ने सैनिटाइजर की मशीनें लगाई थीं।