टोक्यो ओलंपिक -2020 में भारत के खाते में पहला गोल्ड आ सकता है। वेटलिफ्टिंग (49 किग्रा वर्ग) में रजत पदक हासिल करने वाली मीराबाई चानू का मेडल गोल्ड में बदल सकता है। दरअसल, चीनी खिलाड़ी होऊ झिऊई पर डोपिंग का शक है।
टोक्यो में भारतीय समूह में एक संदेश है कि होउ जिहूई का परीक्षण किया जा रहा है और यह देखना होगा कि आगे क्या होता है। इस बारे में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ज्यादा कुछ नहीं कह रहे हैं।
होऊ झिऊई आज अपने देश लौटने वाली थीं, लेकिन उन्हें रुकने को कहा गया है। ओलंपिक के इतिहास में ऐसा पहले हो चुका है, जब डोपिंग में फेल होने पर खिलाड़ी का मेडल छीन लिया गया।
Tokyo Olympic: सुमित नागल का खराब प्रदर्शन, रुस के मेदवेदेव ने दी शिकस्त
अगर टोक्यो ओलंपिक के महिला भारोत्तोलन (49 किग्रा) में मीराबाई का पदक स्वर्ण में तब्दील हो जाता है, तो ओलंपिक के इतिहास में भारत के नाम व्यक्तिगत स्पर्धा में यह दूसरा स्वर्ण पदक होगा। दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने भारत को पहला स्वर्ण पदक (बीजिंग 2008) दिलाया था।
मीराबाई चानू ने ओलंपिक खेलों की भारोत्तोलन स्पर्धा में पदक का भारत का 21 साल का इंतजार खत्म किया है। इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक 2000 में देश को भारोत्तोलन में कांस्य पदक दिलाया था। मीराबाई स्वदेश लौट चुकी हैं। उन्होंने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।
रेड ड्रेस में नोरा ने इंटरनेट का बढ़ाया पारा, सिजलिंग आदाओं पर फैंस हुए फिदा
चानू ने क्लीन एवं जर्क में 115 किग्रा और स्नैच में 87 किग्रा से कुल 202 किग्रा वजन उठाकर रजत पदक अपने नाम किया। चीन की होऊ झिऊई ने कुल 210 किग्रा (स्नैच में 94 किग्रा, क्लीन एवं जर्क में 116 किग्रा) से स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। इंडोनेशिया की ऐसाह विंडी कांटिका ने कुल 194 किग्रा का वजन उठाकर कांस्य पदक हासिल किया।
मीराबाई ने 2016 रियो ओलंपिक के निराशाजनक प्रदर्शन की भरपाई टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतकर कर ली। टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने वाली एकमात्र भारोत्तोलक मीराबाई का रियो ओलंपिक में क्लीन एवं जर्क में तीन में से एक भी प्रयास वैध नहीं हो पाया था।
मीराबाई के नाम अब महिला 49 किग्रा वर्ग में क्लीन एवं जर्क में विश्व रिकॉर्ड भी है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक से पहले अपने अपने अंतिम टूर्नामेंट एशियाई चैम्पियनशिप में 119 किग्रा का वजन उठाया और इस वर्ग में स्वर्ण और ओवरऑल वजन में कांस्य पदक जीता।