उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कृषि व्यवसाय को आधुनिकता देकर अधिक लाभकारी बनाया जाए।
श्रीमती पटेल ने आज राजभवन से ऑनलाइन सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मेरठ के दीक्षान्त समारोह में ये विचारव्यक्त किये। उन्होंने कहा कि दिक्षांत समारोह एक विशिष्ट अवसर है जब छात्र विद्यार्जन कर नये दायित्वों का निर्वहन करने के लिए अपने को समर्पित करता है। विश्वविद्यालय के सभी प्रतिभावान छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को फलीभूत करें और देश की प्रगति मे अपना अमूल्य योगदान दें। इस अवसर पर 302 छात्र-छात्राओं को उपाधि जबकि 14 छात्र-छात्राओं को पदक दिये गये।
राज्यपाल ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहतरीन प्राकृतिक संसाधनों के कारण कृषि के क्षेत्र में अग्रणी है और कृषि उत्पादन में मुख्य रूप से योगदान दे रहा है। यहां मांग आधारित कृषि की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर इस प्रकार के शोध किए जाए जो कि समय व मांग के अनुसार हो। क्षेत्र की फसलों को दृष्टिगत रखते उनके रख रखाव के लिए समुचित तकनीकियों एवं उपक्रमों को बढावा देना आवश्यक है, जिससे कि किसान उत्पादों का समुचित भंडारण कर अनुकूल कीमतों पर बेच सकें।
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उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों की भाँति कृषि में भी नए-नए स्टार्टअप आ रहें हैं। कृषि व्यवसाय को आधुनिकता देकर अधिक लाभकारी बनाया जाए। साथ ही वैश्विक स्पर्धा में बने रहने के लिए उत्पादों की गुणवत्ता को भी बनाए रखना आवश्यक है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा हर एक को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने और हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के साथ ‘पर ड्राॅप मोर क्राॅप’ जैसे अभियान शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज ‘गांव का पानी गांव में’ जैसे नारे जल संरक्षण में लगे लोगाें की जुबान पर चढ़ गए हैं।
उन्होंने बरसात के पानी के संरक्षण को लेकर बढ़ी जागरूकता के कारण देश के कई हिस्सों में भूजल का स्तर ऊपर आने लगा है। जल संसाधन मंत्रालय जल्द ही इसी सोच के साथ ‘कैच द रेन’ अभियान शुरू करने जा रहा है। सरकार सिंचाई की नई-नई विधियां अपनाने पर विशेष बल दे रही है। कृषि वैज्ञानिकों को ऐसी प्रजातियाँ विकसित करनी होंगी जो कम जल खपत मे अधिक उत्पादन दे सकें। उन्होने कहा कि भूजल की गुणवत्ता को भी बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि की टिकाऊ प्रगति स्वस्थ मृदा पर निर्भर करती है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बहुत से किसान फसल अवशेष प्रबंधन अपनाकर मृदा व पर्यावरण को स्वस्थ रखने में अपना योगदान दे रहे हैं। मृदा स्वास्थ्य के प्रति जन मानस को और जागरूक होने की आवश्यकता है एवं इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सहफसली खेती से जहाँ मिट्टी की सेहत सुधर रही है, वहीं किसानो का मुनाफा भी बढ़ा है। इस मुहिम को और गति देने के लिए हमारे कृषि वैज्ञानिकों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानो का रूझान प्राकृतिक खेती की तरफ तेजी से बढ़ रहा है, जो एक अनुकरणीय पहल है। विश्वविद्यालय स्तर पर भी खेती की इस विधा पर शोध व प्रसार करने की आवश्कता है।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि दुग्ध उत्पादन एवं पशुपालन मे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। आज भारत दुग्ध उत्पादन मे विश्व का अग्रणी देश है, परंतु प्रति पशु उत्पादकता काफी कम है। इस क्षेत्र मे वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। हमारे देश की पशु नस्लें देश की परिस्थितियों के अनुकूल हैं। अतः इनके प्रजनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज की महत्वपूर्ण कड़ी हैं उनका सम्मान एवं सशक्तिकरण हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रसार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य होना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, डाॅ0 त्रिलोचन महापात्र, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर के मित्तल सहित विद्या एवं कार्य परिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं भी वर्चुअली जुड़े हुए थे।