खुद को श्रीकृष्ण का वंशज होने का दावा करने वाले हिन्दू आर्मी के प्रमुख मनीष यादव ने कहा है कि वह शाही मस्जिद ईदगाह को अन्यत्र बनाने में आने वाले खर्च को बर्दाश्त करने को तैयार है मगर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर बनी मस्जिद स्वीकार्य नही है।
हिन्दू आर्मी चीफ की ओर से इस आशय का एक नया वाद उनके अधिवक्ताओं के माध्यम से सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 15 दिसम्बर को दायर किया गया था जिसमें उसने श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सम्बंधित हुए 1968 के समझौते को निरस्त करने की मांग की गई है।
दावे की स्वीकार्यता पर निर्णय देने के लिए 22 दिसम्बर की तिथि निर्धारित की गई थी लेकिन उस दिन बार के पूर्व अधिवक्ता अजय पोइया के निधन के कारण अदालती कामकाज नही हुआ। अब इस वाद की स्वीकार्यता पर अगली सुनवाई के लिए 4 जनवरी 2021 निर्धारित की गई है।
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डीजीसी क्राइम शिवराम सिंह ने बताया कि इस वाद में चेयरमैन यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड, सचिव श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट एव शाही मस्जिद ईदगाह के सचिव को पार्टी बनाया गया है। मनीष यादव का कहना था कि 1968 का समझौता रद्द होने के बाद ही शाही मस्जिद ईदगाह को हटाना पड़ेगा।
इससे पूर्व लखनऊ निवासी रंजना अग्निहोत्री एवं अन्य की ओर से एक वाद उनके अधिवक्ताओं द्वारा सितम्बर महीने में दायर किया जा चुका है जिसमें श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की 13,37 एकड़ भूमि के कुछ भाग पर बनी शाही मस्जिद ईदगाह को हटाने एवं 1968 के समझौते को रद्द करने की मांग की गई है।