• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

सिर्फ मां के पास है बच्चे का सरनेम तय करने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा

Writer D by Writer D
29/07/2022
in Main Slider, आंध्र प्रदेश, नई दिल्ली, राष्ट्रीय
0
Supreme Court

Supreme Court

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

नई दिल्ली। पिता के निधन के बाद बच्चे की नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां के पास उपनाम पर निर्णय लेने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए की। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में महिला को निर्देश दिया था कि वह दस्तावेजों में अपने दूसरे पति का नाम सौतेले पिता के रूप में दर्ज करे।

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों में महिला के दूसरे पति का नाम सौतेले पिता के रूप में शामिल करने का हाईकोर्ट का निर्देश लगभग क्रूर और इस तथ्य के प्रति नासमझी को दिखाता है कि यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को कैसे प्रभावित करेगा।

न्यायालय ने कहा कि बच्चे की एकमात्र नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां को बच्चे का उपनाम तय करने का अधिकार है और उसे बच्चे को गोद लेने के लिए छोड़ने का भी अधिकार है। शीर्ष अदालत पहले पति की मृत्यु के बाद पुनर्विवाह करने वाली मां और बच्चे के मृत जैविक पिता के माता-पिता के बीच बच्चे के उपनाम से जुड़े एक मामले से सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा कि अपने पहले पति की मृत्यु के बाद बच्चे की एकमात्र नैसर्गिक अभिभावक होने के नाते मां को अपने नए परिवार में बच्चे को शामिल करने और उपनाम तय करने से कानूनी रूप से कैसे रोका जा सकता है।

यूपी के इन जिलों में तेज बारिश की संभावना,  IMD ने जारी की चेतावनी

शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि एक नाम महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक बच्चा इससे अपनी पहचान प्राप्त करता है और उसके नाम और परिवार के नाम में अंतर गोद लेने के तथ्य की निरंतर याद दिलाने के रूप में कार्य करेगा। ऐसे में बच्चे को अनावश्यक सवालों का सामना करना पड़ेगा, जो उसके माता-पिता के बीच एक सहज और प्राकृतिक संबंध में बाधा उत्पन्न करेंगे।

2008 में दादा-दादी ने दायर की थी याचिका

9 अप्रैल 2008 को मृतक पिता (दादा-दादी) के माता-पिता ने एक नाबालिग बच्चे का अभिभावक बनने के लिए अभिभावक और वार्ड अधिनियम, 1890 की धारा 10 के तहत एक याचिका दायर की थी, जिस समय यह याचिका दायर की गई थी उस समय बच्चे की उम्र करीब 2 साल थी। निचली अदालत ने 20 सितंबर 2011 के आदेश के तहत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद दादा-दादी ने हाईकोर्ट का रुख किया था।

Tags: Andhra Pradesh Newsdelhi newsNational newsSupreme Court
Previous Post

यूपी के इन जिलों में तेज बारिश की संभावना,  IMD ने जारी की चेतावनी

Next Post

फ्लाईओवर से नीचे बस गिरने से एक की मौत, 25 यात्री घायल

Writer D

Writer D

Related Posts

Bhai Dooj
धर्म

इस दिन मनाया जाएगा भाई दूज, जानें तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त

20/10/2025
Govardhan Puja
Main Slider

गोवर्धन पूजा कब है, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा महत्व

20/10/2025
Lizard
Main Slider

दिवाली पर इस जानवर का दिखना होता है शुभ, कारोबार में मिलेगी सफलता

20/10/2025
Rangoli
फैशन/शैली

दिवाली पर नहीं मिला रंगोली बनाने का टाइम, तो इन ट्रिक्स से मिनटों में बना लेंगी

20/10/2025
Suran Sabzi
Main Slider

दिवाली के दिन जरूर बनाई जाती है ये टेस्टी सब्जी, नोट करें मजेदार रेसिपी

20/10/2025
Next Post
road accident

फ्लाईओवर से नीचे बस गिरने से एक की मौत, 25 यात्री घायल

यह भी पढ़ें

पीएम मोदी के कार्यक्रम स्थल से कुछ दूर खेत में विस्फोट, मचा हड़कंप

24/04/2022
AK Sharma

भाजपा सरकार के कार्यों को अपना बताने वाले झुट्ठों से रहें सावधान: एके शर्मा

30/04/2023
jio prepaid plans

JIO की बड़ी तैयारी, 5G/6G डेटा प्राइवेसी पर ऐसे करेगी काम

21/04/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version