रामपुर के सांसद और पूर्व मंत्री आजम खां को अदालत से बड़ी राहत मिली है। एमपी/ एमएलए स्पेशल न्यायाधीश एडीजे-2 पुनीत गुप्ता की अदालत से बुधवार को उनकी जमानत मंजूर हो गई। यह मामला कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का था।
जनवरी 2008 को आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम समेत नौ आरोपियों के खिलाफ छजलैट थाने में केस दर्ज किया गया था। उस वक्त आजम खां एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए परिवार सहित मुजफ्फरनगर जा रहे थे। छजलैट थाने के सामने आजम खां की गाड़ी रुकवा कर पुलिस ने चेकिंग की थी। इसके विरोध में आजम खां धरना देने की शैली में सड़क पर बैठ गए थे। सूचना मिलने पर मुरादाबाद समेत आस पड़ोस के जनपदों के सपा नेता और कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए थे। इसके बाद हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया गया था। इस मामले में दर्ज मुकदमे में आजम खां लंबे समय तक कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। तब आजम खां के खिलाफ एक और केस कोर्ट के आदेशों की अवहेलना (174 ए) में दर्ज किया गया था।
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सीतापुर जेल में बंद आजम खां ने अपने अधिवक्ता शहनवाज के माध्यम से अदालत में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। इस प्रार्थना पत्र पर बुधवार को एमपी/एमएलए स्पेशल न्यायाधीश एडीजे-2 पुनीत गुप्ता की अदालत में सुनवाई चली। आजम खां के अधिवक्ता शाहनवाज ने पक्ष रखा कि हमारे मुवक्किल की उम्र 71 साल से अधिक है और वह बीमार चल रहे थे। उनकी पत्नी भी बीमार थी। इस कारण कोर्ट में उपस्थित नहीं हो सके थे। अब भविष्य में तारीख पर आएंगे। ऐसे में उन्हें मानवीय दृष्टि से जमानत मिलनी चाहिए। सरकार की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता मुनीष भटनागर उपस्थित रहे।
उन्होंने जमानत पर आपत्ति जताई। दलील दी कि पहले भी आजम खां लंबे समय तक फरार रहे हैं। इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आजम खां की जमानत मंजूर कर दी। छजलैट थाने के सामने धरने के मूल मुकदमे में आजम खां की जमानत पहले ही मंजूर हो चुकी है।