नई दिल्ली। राज्यसभा में कृषि से जुड़े बिलों पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी ने इस बिल का विरोध किया है। समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि इस बिल के बाद हमारी मौजूदा मंडियां निजी मंडियों के आगे दम तोड़ देंगी। रामगोपाल यादव ने कहा कि बिल के आने के बाद निजी कंपनियां अपनी मंडियां स्थापित करेंगी और उनके सामने मौजूदा मंडियां नहीं चल पाएंगी। सपा नेता राम गोपाल यादव ने तर्क दिया कि जैसे सरकारी दूरसंचार कंपनी BSNL मौजूदा समय में निजी कंपनी Jio के सामने दम तोड़ रही है उसी तरह से हमारी मौजूदा मंडियां निजी मंडियों के सामने दम तोड़ेंगी।
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हालांकि बिल में अलग से निजी क्षेत्र की कृषि उपज मंडी बनाए जाने को लेकर कोई बात नहीं कही गई है, सिर्फ इतना कहा गया है कि किसान को अपनी फसल कहीं भी बेचने का अधिकार होगा। किसान चाहे तो अपनी फसल को कृषि उपज मंडी में बेचे या चाहे तो मंडी के बाहर बेचे। कृषि उपज मंडी में किसान की फसल बेचने की वाध्यता खत्म होगी।
सरकार का दावा है कि नए नियमों से देश के कृषि क्षेत्र की काया पलट जाएगी, किसानों को लाभ होगा और देश का कृषि क्षेत्र तेजी से विकसित होगा। वहीं विपक्ष आरोप लगा रहा है कि इससे देश का कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएगा, किसानों को नुकसान होगा और देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म हो जाएगी।
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विपक्ष सरकार को APMC एक्ट पर घेर रहा है और नए बिल में APMC एक्ट में बदलाव की बात है। इस एक्ट के तहत देश की कृषि उपज मंडियों में कामकाज होता है और किसानों को अपनी उपज इन्हीं मंडियों में बेचनी पड़ती है। मंडियों में बैठे आढ़तियों की मदद से किसान अपनी उपज बेचते हैं और जिन फसलों का समर्थन मूल्य तय नहीं होता उन्हें बोली लगाकर मंडी में खरीदा जाता है। बेची गई उपज का पूरा हिसाब किताब रखा जाता है और साथ में कई तरह के टैक्स भी जुड़ते हैं। एक तरह से किसान अपनी फसल को अपनी नजदीकी APMC मंडी में बेचने के लिए बाध्य होता है।