उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने भातखण्डे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षान्त समारोह में 6 पीचएडी, 72 परास्नातक, 44 स्नातक समेत कुल 123 डिग्रियां प्रदान की जबकि 44 विद्यार्थियों को मेडल प्रदान किये।
जिसमें महिलाओं को 13 गोल्ड, 5 सिल्वर और 6 काॅस्य पदक प्रदान किये गये। सर्वाधिक छह मेडल उसमीत सिंह को गायन में मिले। राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी का सपना होता है कि वह अपने शैक्षिक संस्थान के उच्चतम सोपान पर स्वयं को अभिषिक्त होता हुआ देख सके। इसीलिये वह शैक्षिक गतिविधियों, पठन-पाठन एवं शोध के यथावश्यक कार्यों में स्वयं को प्राण-पण से सन्नद्ध कर देता है। उसका प्रथम लक्ष्य डिग्री-उपाधि प्राप्त करना और द्वितीय लक्ष्य उस योग्यता के आधार पर जीवन के आगामी लक्ष्य की सम्पूर्ति करना होता है।
उन्होंने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले बच्चे शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेकर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में संगीत की अलख जगाने का कार्य करेंगे।
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कुलाधिपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ज्ञान, विज्ञान, कला और संगीत की अमूल्य विरासत निहित है, जिसमें शिक्षा की महती भूमिका है। शिक्षा व्यक्ति को संस्कारित करते हुए उसमें नैतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्तियों का उचित समावेश कर उसके भावी जीवन को समुन्नत एवं समृद्ध करती है। उन्होंने कहा कि संगीत एक साधना है। उत्तर प्रदेश की संगीत परम्परा न केवल प्राचीनतम है, बल्कि सबसे अधिक समृद्ध रही है। यहां शास्त्रीय और भक्ति संगीत के साथ ही लोक संगीत का प्रचुर खजाना मौजूद है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने पूर्वजों से मिली सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में कार्य करना चाहिए। इसके साथ ही हमें नई पीढ़ी के मन में भारतीय संस्कृति, भारतीय संगीत एवं भारतीय कला के प्रति सम्मान पैदा करने का प्रयास करना चाहिए तथा उन्हें संगीत व नृत्य सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
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इस अवसर राज्यपाल ने स्मारिका का विमोचन भी किया। विश्वविद्यालय द्वारा आमंत्रित किये गये स्कूली बच्चों को राज्यपाल ने बैग, पुस्तक, फल आदि दिये। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हर शिक्षार्थी कुछ न कुछ बनना चाहता है। इसीलिए नई शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम दिया जायेगा जबकि 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा अपने स्तर पर तैयार करना होगा, ताकि विद्यार्थियों को उनकी रूचि के अनुसार शिक्षा प्रदान की जा सके। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने विद्यार्थियों का समय-समय पर चिकित्सीय परीक्षण कराना चाहिए। विशेषरूप से बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि प्रत्येक 53 सेकेण्ड में एक नवजात बच्चे की मृत्यु होती है यह चिन्ता का विषय है। इसका प्रमुख कारण बेटियों का एनीमिक होना, छोटी उम्र में शादी, पोषण में कमी, अस्पताल ने प्रसव न होना है इसलिए विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी बन जाती है कि वे शिक्षण कार्य के साथ-साथ विद्यार्थीयों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दें।