तुलसी (tulsi) एक ऐसी औषधि है, जिसके बारे में शायद ही कोई हो जो न जानता हो। तुलसी (tulsi) का इस्तेमाल बीमारियों के इलाज में हज़ारों सालों से किया जा रहा है। इसलिए भारत में ज़्यादातर घरों में इसके पौधा हमेशा पाया जाएगा। तुलसी को चाय में डायकर पिएं, या इसका काढ़ा बनाएं, ये हर लिहाज़ से फायदेमंद साबित होगी।
माना जाता है कि तुलसी (tulsi) गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपने खानपान का ख़ास ध्यान रखना होता है। ऐसी चीज़ें खाने से बचना होता है जिससे बच्चे को किसी तरह का नुकसान पहुंच सके। इसलिए तुलसी की सबसे अच्छी बात यही है कि ये पूरी तरह से सुरक्षित होती है।
तुलसी (tulsi) की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इससे मां और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों ही को संक्रमण होने का ख़तरा कम हो जाता है। तुलसी की पत्तियां मैग्नीशियम का अच्छा स्त्रोत होती हैं। ये बच्चों की हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी है। इसमें मौजूद मैगनीज टेंशन को कम करने का काम करता है।
तुलसी (tulsi)की पत्तियों में हीलिंग गुण होते हैं। इसकी पत्तियां एंटी-बैक्टीरियल होने के साथ-साथ एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होती हैं।रोज़ाना तुलसी की दो पत्तियां खाने से शरीर में खून की कमी नहीं होती। गर्भावस्था में ज़्यादातर महिलाओं को एनिमिया की शिकायत हो जाती है। ऐसी महिलाओं को हर रोज़ तुलसी की दो पत्तियां खाने काफी फायदा मिल सकता है।
तुलसी की पत्तियों में ‘विटामिन-ए’ पाया जाता है, जो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास के लिए बेहद ज़रूरी होता है।