गोरखपुर। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया ने सरसों के तेल में दूसरे तेल के मिश्रण पर लगी रोक हटा दी है। लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए एफएसएसएआई ने पहली अक्टूबर-20 से सरसों के तेल में किसी तरह के मिश्रण रोक लगा दी थी, जिसे ब्रांडेड तेल बनाने वाली कंपनियों ने अदालत में चुनौती दी थी। सरसों के तेल में मिलावट की खबरें आम बात है।
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सरसों के तेल में पाम आयल, भूसी का तेल, पामोलिन, सोया आयल मिलाया जाता था सरसों के तेल के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं। मानक के मुताबिक सरसों के तेल में 20 फीसदी दूसरे आयल मिलाए जा सकते हैं, लेकिन कई कंपनियां ज्यादा बिक्री व मुनाफा के चलते मानक का पालन नहीं करती। दरअसल पैक तेल में 80 फीसदी सरसों तथा 20 फीसद पाम या दूसरे तरह के आयल मिलाए जाते हैं।
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कंपनियों का कहना था कि अगर तेल में मिश्रण नहीं होगा तो सरसों का तेल न सिर्फ महंगा होगा बल्कि गरीबों से पहुंच से दूर हो जाएगा। दूसरी तरफ एफएसएसएआई कोर्ट में यह नहीं बता पाई की मिश्रित तेल से शरीर को क्या नुकसान पहुंच रहा है। कोर्ट ने सरसों के तेल में मिश्रण पर लगी रोक को सही नहीं माना। चेंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष संजय सिंहानिया ने बताया कि सरसों के तेल में पहले ही आग लगी हुई है और मिश्रण पर रोक लग जाता तो तेल की कीमत प्रतिलीटर 160 से 170 रुपये हो जाती।