नई दिल्ली। भारत के साथ सीमा विवाद मुद्दे पर बातचीत करने का राग अलाप रहा है। नेपाल अपने विवादित नक्शे को विश्व बिरादरी में भेजने की तैयारी कर रहा है। नेपाल के भूमि प्रबंधन मंत्रालय के अनुसार, देश के नए नक्शे को अंग्रेजी में प्रकाशित करने के बाद इसे संयुक्त राष्ट्र और गूगल को भेजा जाएगा। नए नक्शे में भारत के लगभग 335 किलोमीटर के भू-भाग को नेपाल में दिखाया गया है।
नेपाली नक्शे का इंग्लिश में हो रहा अनुवाद
नेपाली मीडिया माय रिपब्लिका की रिपोर्ट के अनुसार कि नेपाली भूमि प्रबंधन विभाग की मंत्री पद्मा आर्यल ने कहा कि हम जल्द ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय को देश का संशोधित नक्शा सौपेंगे। जिसमें कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। इसके लिए हम नक्शे में प्रयोग किए गए शब्दों को इंगलिश में बदलने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अगस्त के मध्य तक अंतरराष्ट्रीय जगत को नया नक्शा सौंप सकते हैं।
13 जून को नेपाली संसद से पास हुआ था विवादित नक्शा
बता दें कि भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने चाल चलते हुए 20 मई को कैबिनेट में नए नक्शे को पेश किया था। जिसे नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा ने 13 जून को अपनी मंजूरी दे दी थी।
इसमें भारत के कालापानी, लिपु लेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है। वहीं भारत ने इसका विरोध करने के लिए नेपाल को एक डिप्लोमेटिक नोट भी सौंपा था। इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के नए नक्शे को एतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी करार दिया था।
नेपाली भाषा में नक्शे की 25000 कॉपी प्रिंट
नेपाली मापन विभाग के सूचना अधिकारी दामोदर ढकाल ने कहा कि नेपाल के नए नक्शे की 4000 कॉपी को अंग्रेजी में प्रकाशित करने के किए काम जारी है। इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है। इस विभाग ने नेपाली में नक्शे की करीब 25000 प्रतियां पहले ही प्रिंट कर ली हैं। इन्हें देश के भीतर वितरित किए जाने की योजना है।
नेपाल बोला हमको छोड़ सबसे बात कर रहा भारत
नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली ने मीडिया ब्रीफिंग में आरोप लगाया कि कोरोना काल में भारत अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और चीन समेत कई देशों से बातचीत कर रहा है, लेकिन हम से नहीं। उन्होंने दावा किया कि इसी कारण हमारे पास देश का नक्शा प्रकाशित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
नेपाली विदेश मंत्री का भारत पर निशाना
उन्होंने दावा किया कि जब भारत ने नवंबर 2019 में अपने राजनीतिक मानचित्र के 8 वें संस्करण को प्रकाशित किया, तो इसमें नेपाल का कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा का क्षेत्र शामिल था। निश्चित रूप से नेपाल ने राजनीतिक बयानों और राजनयिक नोटों के माध्यम से इसका विरोध किया। उस समय हमने अपने भारतीय दोस्तों को औपचारिक रूप से इन समस्याओं को सुलझाने के लिए कूटनीतिक बातचीत शुरू करने के लिए कहा। हमने संभावित तारीखों का भी प्रस्ताव रखा लेकिन हमारे प्रस्ताव का समय पर जवाब नहीं दिया गया।
नेपाल में सत्ता में वामपंथी, चीन से बढ़ाई नजदीकी
नेपाल में इन दिनों राजनीति में वामपंथियों का दबदबा है। वर्तमान प्रधानमंत्री केपी शर्मा भी वामपंथी हैं और नेपाल में संविधान को अपनाए जाने के बाद वर्ष 2015 में पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्हें नेपाल के वामपंथी दलों का समर्थन हासिल था। केपी शर्मा अपनी भारत विरोधी भावनाओं के लिए जाने जाते हैं। वर्ष 2015 में भारत के नाकेबंदी के बाद भी उन्होंने नेपाली संविधान में बदलाव नहीं किया और भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए केपी शर्मा चीन की गोद में चले गए। नेपाल सरकार चीन के साथ एक डील कर ली। इसके तहत चीन ने अपने पोर्ट को इस्तेमाल करने की इजाज़त नेपाल को दे दी।