गुवाहाटी। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा में सुधार के लिए एक पहल के रूप में पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) ने मौजूदा पारंपरिक रैकों को एलएचबी डिजाइन रैकों में बदलकर प्रमुख कदम उठाए हैं। एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) कोचों को बेहतर यात्री सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।
एलएचबी कोचों का निर्माण टक्कर-रोधी प्रौद्योगिकी के साथ किया जाता है, जो दुर्घटना के दौरान कम मौत का कारण बनता है। ये कोच हल्के वजन वाले कम संक्षारक स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं, जिनमें आईसीएफ कोचों की तुलना में उच्च वहन क्षमता, गति क्षमता और बेहतर सुरक्षा होती हैं। अंदरूनी हिस्से अल्युमीनियम से बने होते हैं, जो पारंपरिक रैक की तुलना में इसे हल्का बनाते हैं। प्रत्येक कोच में उच्च गति पर कुशल ब्रेकिंग के लिए एक “उन्नत वायवीय डिस्क ब्रेक सिस्टम” भी है। इसके अलावा मॉड्यूलर इंटीरियर्स, जो छत एवं सामान रैक और चौड़ी खिड़कियों में प्रकाश व्यवस्था को एकीकृत करता है।
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2021-22 के दौरान पूसीरे की 07 ट्रेनों को आईसीएफ से एलएचबी में परिवर्तित किया गया था। इस प्रकार, पूसीरे से शुरू होने वाली कुल 40 ट्रेनें अब एलएचबी में परिवर्तित हो गई हैं और उच्च गति के साथ दौड़ रही हैं।
एलएचबी कोचों की वातानुकूलित प्रणाली पुराने रैकों की तुलना में बेहतर है और इसे एक माइक्रो प्रोसेसर द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो गर्मियों के दौरान यात्रियों को बेहतर आराम देता है। सिस्टम को सर्दियों के मौसम के दौरान सुविधाजनक बनाने के लिए एक हीटिंग यूनिट के साथ सक्षम भी किया गया है। इन एलएचबी कोचों को सेंटर बफर कपलिंग (सीबीसी) प्रदान किया जाता है, जो अधिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
चलती ट्रेनों में आग की रोकथाम की तकनीक को बढ़ाने के लिए, कुल 378 गैर वातानुकूलित कोचों में चोरी-रोधी व्यवस्था के साथ अग्निशमन यंत्र प्रणालियां प्रदान किये जाने से कोचों की कुल संख्या 1685 हो गई है। इसके अलावा, 22 एसी कोचों में फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाया गया है, जो किसी भी कोच में आग लगने की स्थिति में अलार्म के साथ-साथ ट्रेन के ऑटो स्टॉपेज को सक्रिय करता है। अब कुल 1685 गैर वातानुकूलित कोच, 190 वातानुकूलित कोच, 98 पावर कार और 38 पेंट्री कारों में आग की रोकथाम के लिए सुरक्षा प्रावधान प्रदान किए गए हैं।