कानपुर। कानपुर में रिटायर्ड प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की हत्या के मामले में NIA की स्पेशल कोर्ट ने आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को फांसी की सजा (Death Sentence) सुनाई है। इसके साथ ही उनपर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि दोनों आतंकी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में मारे गए ISIS आतंकी सैफुल्लाह के साथी हैं। सैफुल्लाह को मार्च 2017 में एक एनकाउंटर में ढेर किया गया था। अब उसके दोनों साथियों मुजफ्फर और फैसल को फांसी की सजा (Death Sentence) हुई है।
मालूम हो कि कानपुर में रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की 24 अक्टूबर 2016 को गोली मारकर हत्या (Murder) हुई थी। सैफुल्लाह, मुजफ्फर और फैसल ने कानपुर के चकेरी इलाके में साइकिल से घर जा रहे रमेश बाबू की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। टारगेट के हाथ में कलावा देखकर आतंकियों ने रमेश बाबू को निशाना बनाया था। वो अपने नए असलहो की चेकिंग करना चाहते थे।
NIA कोर्ट ने दोषियों को फाँसी की सजा (Death Sentence) सुनाते हुए कहा की दोषियों का अपराध विरलतम से विरल श्रेणी का है, इसे सामान्य हत्या की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा की उनको हाईकोर्ट से पुष्टि हो जाने के बाद फांसी दी जाएगी। कोर्ट में एनआईए के विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह,केके शर्मा और बृजेश कुमार यादव ने बताया की इस मामले कि रिपोर्ट वादी अक्षय शुक्ला ने कानपुर के चकेरी थाने में 24 अक्तूबर 2016 को दर्ज कराई थी।रिपोर्ट दर्ज कराकर बताया गया था की वादी के पिता रमेश बाबू शुक्ल स्वामी आत्मा प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाई स्कूल में तीस सालो से टीचर है। कहा गया कि 24 अक्तूबर 2016 को वादी के पिता रमेश बाबू स्कूल से वापस आ रहे थे तभी किसी ने उन्हें गोली मार दी। जिन्हें अस्पताल ले जया गया कहा उनकी मृत्यु हो गई।
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इसी के बाद 7 मार्च 2017 को एटीएस सूचना मिली कि उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट की साजिश में शामिल रहा इस्लामिक स्टेट का आतंकी काकोरी रोड के पास एक मकान में रह रहा है। सूचना पर एटीएस और पुलिस ने दबिश दिया जहा मुठभेड़ के बाद आतंकी सैफुल्लाहपुलिस की गोली से मारा गया। इस दैरान एटीएस को सैफुल्लाह के घर से काफी मात्रा में हथियार, गोला बारूद के साथ ही आपत्तिजनक समान मिला था। जिसपर मामले की विवेचना एनआइए को सौंप दी गई थी, विवेचना के दौरान एनआईए को पता चला कि सैफुल्लाह के घर से जो हथियार बरामद हुए थे। उनका प्रयोग कानपुर के शिक्षक की हत्या समेत अन्य अपराध में भी हुआ है।
एनआइए ने विवेचना के बाद चार्जशीट दाखिल कर बताया की जब कानपुर के चकेरी के रहने वाले फ़ैसल को गिरफ़्तार किया तो उसने बड़े खुलासे किए। फ़ैसल ने बताया की जहां आतिफ़ मुजफ्फर और सैफ़ुल्लाह उसके मोहल्ले के ही रहने वाले है। फ़ैसल ने इस साज़िश का खुलासा करते हुए बताया था की वो सभी लोग आइएसईआइएस की तंजीम से बहुत प्रभावित थे और सभी ने जाजमऊ टीले पर दीन और इस्लाम के लिए कुछ करने और जेहाद करने की क़सम ली थी। इन कट्टरपंथियों ने ख़लीफ़ा की क़सम भी ली थी कि ये सभी ख़लीफ़ा के हुक्म की तामील करेंगे और ख़लीफ़ा की हुक्मउदुली नहीं करेंगे। ये सारे कट्टरपंथी इस बात पर विश्वास करते थे की ख़लीफ़ा की दिखाई राह पर चलकर उन्हें जन्नत मिलेगी और जन्नत में उनके स्वागत के लिए हूरे मौजूद रहेंगी।
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बताया गया की आतिफ़ ने घोषणा की थी कि बहुत कोशिशों के बाद भी जब तक वह सब देश के बाहर नहीं जा पा रहे है तब तक हिंदुस्तान में ही रहकर तैयारी करेंगे, इसी क्रम में दोषी अटैक की प्रैक्टिस किया करते थे और अपनी जेहाद विचारधारा के परीक्षण के लिए 24 अक्तूबर 2016 को सैफ़ुल्लाह, आतिफ़ और फ़ैसल ने कानपुर के चकेरी में अकारण ही सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला के हाथ में कलावा देखकर रमेश बाबू की हिंदू पहचान सुनिश्चित हो जाने पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने आरोपी आतिफ़ मुजफ्फर और मोहम्मद फ़ैसल पर 10 सितंबर 2018 को आरोप तय किया थे। बताते चले दोनों आरोपीयो को गत 28 फ़रवरी को एनआईए कोर्ट अन्य मामले में फांसी की सजा से दंडित भी कर चुकी है।वही दोनों दोषी भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बम ब्लास्ट मामले के भी आरोपी है और यह मामला भोपाल की कोर्ट में चल रहा है।