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किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा समेत 40 लोगों को एनआईए ने भेजा समन

एनआईए ने भेजा समन NIA summons

एनआईए ने भेजा समन

 

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ सरकार कोई समझौता नहीं कर पा रही है। सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। इस बीच सरकार ने कई किसान नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस मामले में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलदेव सिंह सिरसा और पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू समेत करीब 40 लोगों को नोटिस भेजकर तलब किया है। सिरसा और सिद्धू को रविवार यानि आज पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया है।

दूसरी तरफ किसानों को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के नोटिस भेजे जाने पर किसान संगठनों ने कड़ी नाराजगी जताई है। किसान नेताओं का कहा कि वह इस मसले को केंद्रीय स्तर पर होने वाली बैठक में उठाएंगे।

वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें व किसान संघर्ष में सेवा निभा रहे किसानों को परेशान करने के लिए यूएपीए के तहत नोटिस भेजे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने उन्हें जो नोटिस भेजा है उसमें उन्हें 17 जनवरी को दफ्तर में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।

उनकी नातिन की शादी है इसलिए वह सिंघु बॉर्डर से अमृतसर पहुंचे हैं। उन्होंने एनआईए को जवाब भेजा है कि वह आठ फरवरी से पहले अपना पक्ष रखने के लिए नहीं जा सकते। सिरसा ने कहा यह मामला केंद्र सरकार व किसानों के बीच आयोजित 19 जनवरी की बैठक में उठाया जाएगा।

ये भी किए गए हैं तलब
भाकियू कादिया के नेता हरमीत सिंह कादिया को भी समन दिया गया है। इनके अलावा सिख यूथ फेडरेशन भिंडरावाला के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भाई रणजीत सिंह दमदमी टकसाल, मनदीप सिद्धू, कलाकार दीप सिद्दू के भाई, नोहजीत सिंह बुलोवाल, प्रदीप सिंह लुधियाना, परमजीत सिंह अकाली, पलविंदर सिंह अमरकोट, गुरमत प्रचार सेवा के सुरिंदर सिंह ठिकरीवाला, बंदी सिंह रिहाई मोर्चा के नेता मोजंग सिंह लुधियाना आदि को भी एनआईए ने 21 जनवरी को पूछताछ के लिए तलब किया है।

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बता दें कि एनआईए ने जो समन भेजा है वह 15 दिसंबर 2020 को सिख फॉर जस्टिस यानी एसएफजे के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे से जुड़ी है। इसमें एसएफजे को एक गैरकानूनी संगठन बताया गया है। यह मामला गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत दर्ज किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे के मुताबिक- भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और कई देशों में भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन और प्रोपेगैंडा करने के लिए विदेशों में बड़ी मात्रा में पैसा इकट्ठा किया जा रहा है। इस पैसे को गैर सरकारी संगठनों के जरिए भारत में खालिस्तान समर्थकों को भेजा जा रहा है।

किसान आंदोलन में सक्रिय रणजीत सिंह दमदमी टकसाल ने एनआईए का नोटिस मिलने के बाद कहा कि केंद्र सरकार किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए सिख युवाओं को समन भिजवा कर डर और दहशत फैलाना चाहती है। ताकि वे किसान आंदोलन से पीछे हट जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली से घबरा गई है। इसलिए ऐसे हथकंडे अपना रही है। दूसरी ओर एनआईए का कहना है कि कई लोगों को बतौर गवाह बुलाया गया है। बलदेव सिंह सिरसा ने नोटिस के बारे में कहा कि वे एनआईए के सामने हाजिर नहीं होंगे। उनको 17 जनवरी को एनआईए के सामने हाजिर होने को कहा गया है।

सिरसा ने कहा कि मुझे शुक्रवार को व्हाट्सऐप के जरिए एनआईए का समन मिला था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मंत्रियों की कमेटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सारा पैंतरा आजमा चुकी है। उसे कामयाबी नहीं मिली है इसलिए वह एनआईए जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा- हम पहले भी किसान संघर्ष को समर्थन कर रहे थे, आगे भी करते रहेंगे। इसके साथ ही मैं ये कहना चाहता हूं कि किसान जत्थेबंदियों ने मुझे एनआईए के सामने पेश होने से मना किया है। इसलिए जो जत्थेबंदियां कहेंगी, वही मैं करुंगा। मैं एनआईए के सामने पेश नहीं होऊंगा।

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