केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बुधवार को महात्मा गाँधी इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन फॉर पीस एंड सस्टेनेबल डेवेलोपमेंट (एमजीआईईपी) के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर जे एस राजपूत, निदेशक अनंत दूरियप्पा, यूनेस्को के निदेशक एरिक फाल्ट के साथ भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तृत विचार विमर्श किया और उनसे इसके क्रियान्वयन में सहयोग का आह्वान किया।
डॉ निशंक ने कहा,“शिक्षा मंत्रालय को एमजीआईईपी के निदेशक और अध्यक्ष से उत्कृष्ट समन्वित सहयोग प्राप्त होता है। एमजीआईईपी को एक प्रमुख संस्थान के रूप में मान्यता प्राप्त है और मुझे विश्वास है कि यह संस्थान ‘सामाजिक एवं भावनात्मक समझ’ और ‘सतत विकास’ के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक केंद्र बिंदु के रूप में उभरेगा।”
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उन्होंने आगे कहा कि मैंने एमजीआईईपी की तीन मुख्य कार्यक्रमों – रिथिंकिंग लर्निंग, रीथिंकिंग यूथ एंड रीथिंकिंग पॉलिसी में हुई प्रगति को देखा है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि छात्रों के सामाजिक, भावनात्मक स्तर के निर्माण के लिए एमजीआईईपी की प्रगति संतोषजनक रही है. मेरा यह भी मानना है कि 2021 के लिए जो भी कार्य योजना एमजीआईईपी द्वारा बनाई गई है, वे निश्चित रूप से इस लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय नागरिकों की रचना एक वैश्विक नागरिक के तर्ज पर करेगी, जो नागरिकों में सहानुभूति, करुणा और तर्कसंगत सोच के विचारों को व्याप्त करेगी और भारत सरकार इन उद्देश्यों के लिए प्रतिबद्ध है।
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उन्होनें सतत विकास लक्ष्यों के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में बात करते हुए कहा कि शैक्षिक मोर्चे पर, सरकार 2030 सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और भारत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए यूनेस्को के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। शिक्षा की पहुंच, इक्विटी और गुणवत्ता में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
नई शिक्षा नीति एसडीजी प्राप्त करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगी। निष्ठा जैसी पहल उच्च शिक्षा संकाय के लिए दुनिया का सबसे बड़ा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, लीप और अर्पित, प्रधानमंत्री का नवीन शिक्षण कार्यक्रम ध्रुव, या एमओओसीएस पोर्टल स्वयं सभी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।