नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड (Nithari Case) के दोषी सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) की क्यूरेटिव याचिका स्वीकार कर ली है। इससे सुरेंद्र कोली के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है। कोली 12 मामलों में पहले ही बरी हो चुका अब तक वह सिर्फ रिम्पा हलदर मामले में दोषी होने के चलते जेल में था। सुप्रीम कोर्ट ने आज 2011 में आया अपना आदेश बदल दिया है। इसके साथ ही उसे जेल से रिहा करने का आदेश भी दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को 12 मामलों में बरी कर दिया था। इसी के बाद कोलीर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की गई थी। कोली पर आरोप था कि उसने साल 2011 में 15 साल की नाबालिग की हत्या की थी। इसी मामले में उसे दोषी पाया गया था।
सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने फरवरी, 2011 का फैसला पलटते हुए उसकी दोषसिद्धी को रद्द कर दिया। क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने कोली (Surendra Koli) को रिहा करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि याचिका को स्वीकार किया जाता है। इसके साथ ही 2011 की पुनर्विचार निर्णय को वापस लिया जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है। याचिकाकर्ता बरी किया जाता है, सजा रद्द की जाती हैं। अभियुक्त को तत्काल रिहा किया जाए। न्यायमूर्ति नाथ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को आरोपों से बरी किया जाता है। याचिकाकर्ता को तत्काल रिहा किया जाए।
नाले से हुए थे कंकाल बरामद
कोली (Surendra Koli) की क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर को टिप्पणी की थी कि दोषसिद्धि केवल एक बयान और रसोई के चाकू की बरामदगी के आधार पर हुई थी। यह भी कहा था कि बाकी मामलों में बरी होने से एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है।
निठारी हत्याकांड 2005 और 2006 के बीच हुआ था। यह मामला दिसंबर 2006 में तब लोगों के ध्यान में आया जब नोएडा के निठारी गांव में एक घर के पास नाले में कंकाल मिले थे। इसके बाद यह पता चला कि मोनिंदर सिंह पंढेर उस घर का मालिक था और कोली उसका घरेलू नौकर था।









