नए कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में पटना गांधी मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन की प्रशासन से इजाजत नहीं मिलने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने विपक्ष के नेताओं के साथ धरना दिया।
धरना की पहले से अनुमति नहीं लिए जाने के कारण प्रशासन ने जब इजाजत नहीं दी तब श्री यादव ने शनिवार को ट्वीट कर चुनौती देते हुए कहा, “गोडसे को पूजने वाले लोग पटना पधारे हैं। उनके स्वागत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मूर्ति को कैद कर लिया ताकि गांधी को मानने वाले लोग किसानों के समर्थन में गांधी जी के समक्ष संकल्प ना ले सके। नीतीश जी, वहां पहुंच रहा हूं। रोक सको तो रोक लीजिए।”
इसके बाद श्री यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के साथ गांधी मैदान पहुंच गए और गांधी मैदान के गेट नंबर चार के बाहर धरना पर बैठ गए तथा नारेबाजी करने लगे। आखिरकार प्रशासन ने गांधी मैदान का छोटा गेट खोल दिया। इसके बाद श्री तेजस्वी यादव अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ गांधी मूर्ति के पास पहुंचे और किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए अपना संकल्प पत्र पढ़ा।
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श्री यादव ने नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी और काला कानून बताते हुए केंद्र सरकार से इसे अविलंब वापस लेने की मांग की । उन्होंने कहा कि केंद्र के किसान और मजदूर विरोधी फैसलों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सहभागी हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार आज जो बातचीत कर रही है, वह कानून बनाने से पहले होनी चाहिए थी। उन्होंने राज्य के सभी किसानों और संगठनों से नए कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरने की अपील की और आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र को भी प्राइवेट कंपनियों को देने की साजिश रच दी है।
धरना पर मौजूद प्रमुख लोगों में राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, पूर्व मंत्री आलोक मेहता, श्याम रजक और दानापुर के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव शामिल थे।