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आज पहले बड़े मंगल पर हनुमान जी की इस विधि से करें पूजा, लगाएं ये भोग

Hanuman

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इस साल ज्येष्ठ महीने का पहला बड़ा मंगल (Bada Mangal) 28 मई को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में बड़े मंगल का खास महत्व है। बड़े मंगल को कहीं-कहीं पर बुढ़वा मंगल भी कहते हैं। मान्यता है इसी दिन हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्री राम से हुई थी।

बड़े मंगल (Bada Mangal) के दिन पूरी श्रद्धा के साथ हनुमान जी, भगवान श्री राम और माता सीता की आराधना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं बड़े मंगल (Bada Mangal) की पूजा के शुभ मुहूर्त, मंत्र, भोग, रंग, पुष्प, उपाय, पूजाविधि और आरती-

बड़ा मंगल (Bada Mangal) पूजा मुहूर्त

हनुमान जी पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 06.06 मिनट से 12:47 मिनट तक का है। इस दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:51 से दोपहर 12.46 बजे तक है।

मंत्र– ॐ हनु हनु हनु हनुमते नमः

भोग– हनुमान जी को केले, बेसन या बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाना शुभ रहेगा।

प्रिय पुष्प व रंग– बड़े मंगल (Bada Mangal) के दिन पूजा के समय लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ रहेगा। वहीं, हनुमान जी का प्रिय रंग लाल माना जाता है। इसलिए प्रभु को लाल गुलाब के फूल और माला चढ़ाएं।

बड़ा मंगल (Bada Mangal) पूजा-विधि

मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के साफ सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद बजरंगबली को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें, सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाएं, चना, गुड़ और नारियल भी चढ़ाएं। प्रभु को बेसन के लड्डू या फिर बूंदी के लड्डू का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके बाद आरती करें और व्रत रखने का संकल्प लें। हनुमान जी के साथ-साथ प्रभु श्री राम और माता सीता की भी उपासना करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

उपाय– पैसों से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए बड़े मंगल पर हनुमान जी के साथ प्रभु श्री राम जी की पूजा करें। साथ ही रामायण का पाठ भी करें।

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

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