प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालो में कोविड अस्पताल एल टू को पोर्टेबल कलर एक्सरे मशीन उपलब्ध कराई गई है। एक्सरे होते ही कंप्यूटर पर रोगी के सीने या सांस नली में कहां संक्रमण है इसकी जानकारी मिल जाएगी। जिससे चिकित्सक तत्काल इलाज शुरू कर रोगी की जान बचाई जा सकेगी।
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प्रदेश के जिन जनपदों में सरकारी मेडिकल कालेज नहीं हैं, उन सभी जिलों में सरकार ने गंभीर कोरोना रोगी के इलाज के लिए वहां के प्राइवेट अस्पताल में व्यवस्था की है। जिस पर सरकार को करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है। कम गंभीर रोगी का इलाज करने के लिए सभी जिला अस्पताल परिसर को एल टू अस्पताल बनाया जा रहा है। जहां रोगियों के इलाज के लिए वेंटीलेटर, सेंट्रल आक्सीजन सिस्टम व अन्य जीवन रक्षक उपकरण लगाए जा रहे है।
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कोरोना संक्रमित रोगियों की मौत का बड़ा कारण सीने या सांस नली में संक्रमण होना माना जा रहा है। इसका समय से पता सीटी स्कैन या कलर एक्सरे द्वारा एक्सरे कराने पर लगता है। एल टू अस्पताल में दोनों की कोई व्यवस्था नही है। मुरादाबाद समेत प्रदेश के कुछ एल टू अस्पताल में साधारण पोर्टेबल एक्सरे मशीन लगाई गई है। जिसमें रोगियों के सीने व सांस नली का एक्सरे लिया जाता है ।साधारण एक्सरे होने के कारण कई बार संक्रमण की जानकारी नहीं मिल पाती है।
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प्रदेश सरकार ने स्थानीय एल टू अस्पताल को पोर्टेबल कलर एक्सरे मशीन उपलब्ध करा दिया है। यह मशीन सोमवार से काम करने लगी है। इस मशीन को रोगी के बेड तक आसानी से ले जाया जा सकता है। एक्सरे के बाद इस में फिल्म नहीं निकलेगी।एक्सरे होते ही सीने व सांस नली के अंदर की वास्तविक स्थिति कम्प्यूटर पर आ जाएगी। जिससे चिकित्सक को यह पता चल जाएगा कि रोगी शरीर में कहां संक्रमण है। बिना समय गंवाएं ही चिकित्सक संक्रमण को खत्म करने का इलाज शुरू कर देगा। जिससे अधिक से अधिक कोरोना संक्रमित रोगी को बचाया जा सकता है।
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कलर एक्सरे की रिपोर्ट फोटो समेत रोगी के वाट्सएप पर उपलब्ध करा दी जाएगी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एमसी गर्ग ने बताया कि जांच के लिए पोर्टेबल कलर एक्सरे मशीन आ गई है। एल टू में भर्ती रोगी को सीटी स्कैन कराने बाहर भेजने की आवश्यकता नहीं होगी।