नई दिल्ली। चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत ने एक और कड़ा फैसला लिया है। भारत ने चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सीनियर अधिकारी की अध्यक्षता वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के लोगों के वीजा आवेदनों की सख्त जांच के आदेश दिए हैं। यह जानकारी ममाले से जुड़े एक सूत्र ने दी है।
चाइनीज असोसिएशन फ़ॉर इंटरनैशनल अंडरस्टैंडिंग (CAIFU) की सख्त निगरानी ऐसे समय में शुरू हुई है। जब भारत और चीन के बीच सबसे गंभीर सीमा विवाद चल रहा है। इसी सप्ताह भारत ने इंटरनेट सेवाओं के क्षेत्र में अपना प्रभुत्व दिखाने के लिए 118 चाइनीज मोबाइल ऐप पर बैन लगाया है। इससे पहले भारत सरकार ने चीनी कंपनियों की ओर से किए जाने वाले इन्वेस्टमेंट के मानकों और नियमों को और कड़ा कर दिया था।
भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ NGO का काम!
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, सरकार चीन के जिस एनजीओ से जुड़े लोगों के वीजा ऐप्लीकेशन की स्क्रूटनी करने जा रही है, उसके संबंध कम्युनिस्ट पार्टी सेंट्रल कमिटी के यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट से हैं। यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट चीन से बाहर नेताओं, थिंक टैंक के सदस्यों और मीडिया को प्रभावित करने का काम करता है।
मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार ने एक इंटरनल मेमो में इस एनजीओ को चिंता पैदा करने वाला बताया है। साथ ही सरकार ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि इस एनजीओ की गतिविधियां भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ हो सकती हैं।
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बेहद बारीकी से जांचे जाएंगे वीजा ऐप्लीकेशन
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत सरकार के इस फैसले के बाद एनजीओ के प्रतिनिधि या इसकी ओर से समर्थित ग्रुपों से जुड़े लोगों को वीजा लेने के लिए बेहद कठिन जांच-पड़ताल से गुजरना होगा। अधिकारी ने कहा कि चाहे वीजा के लिए आवेदन करने वाले थिंक-टैंकर्स हों या व्यापारी, उनके वीजा एप्लीकेशनों की बहुत बारीकी से जांच की जाएगी।
चीनी विदेश मंत्रालय का ये है जवाब
वहीं दूसरी ओर चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस एनजीओ के चीफ नैशनल पीपुल्स कांग्रेस के उपाध्यक्ष जी बिंगक्सुआन हैं। मंत्रालय के यह एनजीओ गैर लाभकारी है और सभी देशों के सामाजिक संगठनों से बातचीत करता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स से मंत्रालय ने कहा कि इस एनजीओ का उद्देश्य चीन के लोगों और भारत सहित दुनिया के अन्य देशों के लोगों बीच दोस्ती और आपसी साझेदारी को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि यह एनजीओ संस्कृतियों और सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा भी देता है।