हिंदू धर्म में षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि षटतिला एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन जगत के पाहनहार श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजन का विधान है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, षटतिला एकादशी पर श्री हरि विष्णु, मां लक्ष्मी के साथ तुलसी पूजन और व्रत करने से आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। यही नहीं पूजा के दौरान माता तुलसी को कुछ विशेष चींजे अर्पित करने से घर में खुशियां बनी रहती हैं। आइए जानते हैं वो कौनसी विषेश चीजें हैं।
कब है षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi)
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 24 जनवरी को शुरू होगी। 24 जनवरी को माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शाम 7 बजकर 25 मिनट पर होगी। वहीं ये शनिवार 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, इस बार षटतिला एकादशी 25 जनवरी को मनाई जाएगी। 25 जनवरी को ही इसका व्रत भी रखा जाएगा।
माता तुलसी को ये करें अर्पित
– षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) पर प्रात: काल जल्द स्नान करें। इसके बाद पीले वस्त्र पहने
– इसके बाद पूजा स्थल की साफ सफाई करें।
– इसके बाद माता तुलसी को गंगाजल से स्नान कराएं।
– षटतिला एकादशी पर माता तुलसी को श्रृंगार का समान लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, काजल आदि अवश्य अर्पित करें।
– माता तुलसी को रोली, हल्दी और चंदन लगाएं।
– माता तुलसी के पास दीपक जलाएं। ये बहुत ही शुभ माना जाता है।
मां तुलसी की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म शास्त्रों में षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) पर तुलसी के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में माता तुलसी मां लक्ष्मी का ही स्वरूप बताई गई हैं। माता तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय हैं। इसलिए षटतिला एकादशी पर माता तुलसी का पूजन अवश्य ही किया जाता है।
षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) का महत्व
षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi) पर व्रत और पूजन से सुख-समृद्धि आती है। इस दिन व्रत और पूजन से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन तिलों का दान करना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन तिल का उयोग छह तरीकों से किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन जो जितने रुपों में तिल का उपयोग और दान करता है उसको उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग मिलता है।