अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बंबई हाईकोर्ट के उस विवादास्पद फैसले को पलटने का आग्रह किया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी और बच्चा, दोनों के बीच सीधा त्वचा से त्वचा संपर्क नहीं हुआ है तो पॉक्सो के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं होगा।
जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ के समक्ष इस फैसले को एक खतरनाक और अपमानजनक मिसाल बताते हुए, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि फैसले का मतलब यह होगा कि एक व्यक्ति जो सर्जिकल दस्ताने पहनकर एक बच्चे का यौन शोषण करता है, उसे बरी कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय (नागपुर पीठ) ने एक आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि एक नाबालिग लड़की के स्तनों को उसके कपड़ों के ऊपर से टटोलने पर पोक्सो की धारा 8 के तहत यौन उत्पीड़न का अपराध नहीं होगा।
यह मानते हुए कि धारा 8 पोक्सो के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए त्वचा से त्वचा संपर्क होना चाहिए, उच्च न्यायालय ने माना कि विचाराधीन कृत्य केवल धारा 354 आईपीसी के तहत छेड़छाड़ के एक कमतर अपराध के समान होगी। केंद्र सरकार की अपील पर इस फैसले के संचालन पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
पीठ ने कहा कि नोटिस के बावजूद आरोपी के लिए कोई प्रतिनिधित्व पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी से कहा कि अभियुक्तों के लिए एडवोकेट-आन-रिकॉर्ड के साथ दो वरिष्ठ अधिवक्ता उपलब्ध करवाए। मामलों की अंतिम सुनवाई 14 सितंबर को होगी।