हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है। हर महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत किया जाता है, इस तरह से साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। एकादशी व्रत में भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। हर एकादशी व्रत का अलग-अलग महत्व होता है, जिसमें से एक देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) भी है। देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास समाप्त होता है और भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और फिर से सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। जानें देवउठनी एकादशी कब है, पूजन व व्रत पारण का शुभ मुहूर्त।
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) कब है:
हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 01 नवंबर को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी और एकादशी तिथि का समापन 02 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदया तिथि में देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) व्रत 1 नवंबर को रखा जाएगा।
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) पूजन मुहूर्त 2025:
ब्रह्म मुहूर्त- 04:50 ए एम से 05:41 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:55 पी एम से 02:39 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:36 पी एम से 06:02 पी एम
अमृत काल- 11:17 ए एम से 12:51 पी एम
रवि योग- 06:33 ए एम से 06:20 पी एम
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) व्रत पारण मुहूर्त 2025:
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) व्रत का पारण 2 नवंबर को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 11 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। एकादशी व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद भी किया जा सकता है। 2 नवंबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 34 मिनट पर होगा।
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) का महत्व:
देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आती है। इसके साथ ही व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है। कहते हैं कि एकादशी व्रत करने वाला मनुष्य सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को पाता है।









