नई दिल्ली। सूडान (Suden) सेना और अर्धसैनिक बल के बीच चल रहे संघर्ष की वजह से सुलग रहा है। यहां करीब 3000 भारतीय फंसे हुए हैं। भारत सरकार ने उन्हें वहां से सुरक्षित निकालने के लिए ‘ऑपरेशन कावेरी’ (Operation Kaveri) शुरू किया है। इसके तहत बुधवार रात को 360 भारतीयों को लेकर पहली उड़ान दिल्ली पहुंच गई। एयरपोर्ट पर पहुंचते ही लोगों ने भारत माता की जय, इंडियन आर्मी जिंदाबाद, पीएम नरेंद्र मोदी जिंदाबाद के नारे लगाए।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे लोगों को फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया- भारत आपनों की वापसी का स्वागत करता है। जेद्दा से रवाना होने से पहले विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने विमान के अंदर यात्रियों के एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया था- पीएम नरेंद्र मोदी ने हर भारतीय को वापस लाने का संकल्प लिया है। ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) के तहत पहली फ्लाइट 360 भारतीय नागरिकों को लेकर स्वदेश पहुंची। इन नागरिकों को मंगलवार को ‘आईएनएस सुमेधा’ से पोर्ट सूडान और फिर वहां से सऊदी अरब के जेद्दा लाया गया था। इसके बाद वहां से उन्हें नई दिल्ली लाया गया है।
दरअसल बुधवार को वायुसेना के दो विमानों ने 250 से ज्यादा भारतीयों को सुरक्षित निकालकर जेद्दा पहुंच गया। वहीं मंगलवार को नौसेना के आईएनएस सुमेधा से 278 नागरिक जेद्दा पहुंचे थे। इनमें से 360 भारत पहुंच गए।
इससे पहले भारत अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अपने सहयोगी देशों पर निर्भर था। सऊदी अरब ने सूडान से तीन और फ्रांस ने पांच भारतीयों को बाहर निकाला था, लेकिन अब भारत ने पोर्ट सूडान पर अपने विमान और पोत तैनात कर दिए हैं। पोर्ट सूडान दरअसल राजधानी खार्तूम से लगभग 850 किमी। की दूरी पर है।
सूडान (Sudan) में इसलिए बिगड़े हैं हालात
– सूडान में कुछ दिन पहले सेना और पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जंग शुरू हो गई थी। ये संघर्ष सेना के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और पैरामिलिट्री फोर्स के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के बीच हो रहा है। जनरल बुरहान और जनरल डगालो, दोनों पहले साथ ही थे।
– मौजूदा संघर्ष की जड़ें अप्रैल 2019 से जुड़ी हैं। उस समय सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया था। बाद में सेना ने अल-बशीर की सत्ता को उखाड़ फेंक दिया था।
दिल्ली एयरपोर्ट पहुंची फ्लाइट
– बशीर को सत्ता से बेदखल करने के बावजूद विद्रोह थमा नहीं। बाद में सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ। समझौते के तहत एक सोवरेनिटी काउंसिल बनी और तय हुआ कि 2023 के आखिर तक चुनाव करवाए जाएंगे। उसी साल अबदल्ला हमडोक को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, लेकिन इससे भी बात नहीं बनी। अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया। जनरल बुरहान काउंसिल के अध्यक्ष तो जनरल डगालो उपाध्यक्ष बन गए।
– जनरल बुरहान और जनरल डगालो कभी साथ ही थे, लेकिन अब दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। इसकी वजह दोनों के बीच मनमुटाव होना है। दोनों के बीच सूडान में चुनाव कराने को लेकर एकराय नहीं बन सकी। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि सेना ने प्रस्ताव रखा था जिसके तहत आरएसएफ के 10 हजार जवानों को सेना में ही शामिल करने की बात थी।
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– सवाल उठा कि सेना में पैरामिलिट्री फोर्स को मिलाने के बाद जो नई फोर्स बनेगी, उसका प्रमुख कौन बनेगा। बताया जा रहा है कि बीते कुछ हफ्तों से देशभर के अलग-अलग हिस्सों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती बढ़ गई थी, जिसे सेना ने उकसावे और खतरे के तौर पर देखा।