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डिग्री और मार्कशीट ऑनलाइन देने पर विचार करने का आदेश: उच्च न्यायालय

नई दिल्ली| उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय को छात्रों को डिजीटल डिग्री, अंकपत्र और ट्रांस्क्रिपट आनलाइन मुहैया कराने के लिए विशेष शाखा बनाने के लिए व्यवहारिक और गंभीर रवैया अपाने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि छात्रों को प्रमाणपत्र, अंकपत्र और ट्रांस्क्रिप्ट पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, जबकि यह खुद एक निश्चित समय के भीतर उसे मिलना चाहिए।

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जस्टिस प्रतीमा एम. सिंह ने डीयू कंप्यूटर सेंटर के संयुक्त निदेशक संजीव सिंह, डीन (परीक्षा) प्रो. विनय गुप्ता को गुरुवार को होने वाली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहने का निर्देश दिया है। साथ ही आनलाइन डिग्री और मार्कशील मुहैया कराने के लिए विशेष शाखा बनाने की संभावना के बारे में जानकारी देने को कहा है। उच्च न्यायालय ने लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले 5 डॉक्टरों की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। यह मेडिकल कॉलेज डीयू के मेडिकल साइंस विभाग का हिस्सा है। याचिका के अनुसार 2018 में पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को अबतक डिग्री नहीं मिली है। इन डॉक्टरों ने कहा है कि उन्हें यूएसए के यूनाइटेड स्टेट्स मेडिकल लाइसेंसिंग परीक्षा में शामिल होना है और इसके लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 अगस्त है। याचिका में कहा है कि इसमें आवेदन करने के लिए डिग्री देना अनिवार्य है। यह दलील देते हुए याचिका में डीयू को जल्द से जल्द डिग्री जारी करने का आदेश देने की मांग की है।

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डीयू ने क्या कहा

डीयू की ओर से अधिवक्ता एम.जे. रूपल ने न्यायालय को इस बारे में एक अन्य मामले में पारित के आदेश के मद्देनजर डिग्री के प्रकाशन के लिए समुचित कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डिग्री प्रकाशन के लिए टेंडर नोटिस जारी किया गया है और इसके लिए 1 से 3 अगस्त तक निविदाएं स्वीकार किए जाएंगे। इस पर न्यायालय ने कहा कि छात्रों, खासकर डॉक्टरों को डिग्री के लिए कोर्ट आने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

एक अन्य मामले में डीयू ने उच्च न्यायालय को बताया था कि गुणवत्ता युक्त कागजों की कमी और छपाई का सुविधा नहीं होने से छात्रों को डिग्री नहीं दी जा रही है।

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