प्रदेश में रिकार्ड ऑक्सीजन सप्लाई ने महीने के शुरुआत में मची आक्सीजन के लिए हाय तौबा को कम कर दिया है। अब बहुत ही कम संख्या में लोग ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए सोशल मीडिया पर अपनी मांग रख रहे हैं। इसकी एक वजह नए केस कम होने से अस्पतालों में बनी जगह और होम आइसोलेशन के मरीजों को भी ऑक्सीजन उपलब्ध कराना भी रहा है।
15 दिन में 12 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई प्रदेश के विभिन्न जिलों में की गई है। इसमें उन मरीजों को भी ऑक्सीजन दिया गया है जिनका इलाज होम आइसोलेशन में चल रहा है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि ऑक्सीजन की सप्लाई पर निगाह रखने के लिए मानीटरिंग सिस्टम बनाया गया है जिस पर कंट्रोल रुम से निगाह रखी जा रही है।
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साथ ही ऑक्सीजन ऑडिट भी कराया जा रहा है ताकि आक्सीजन की सही खपत का अंदाजा हो सके और जरूरत मंदों तक ऑक्सीजन पहुंच सके। ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों के साथ-साथ होम आइसोलेशन के मरीज भी परेशान थे। ऐसे मरीजों को रिफलिंग स्टेशन से सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की गई। शनिवार को पूरे प्रदेश में होम आइसोलेशन के 3900 मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडर के माध्यम से की गई।
बता दें कि 28 अप्रैल को केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा कर 850 मीट्रिक टन कर दिया था। उसके बाद से लगातार कोटे के आसपास या कोटे से अधिक ऑक्सीजन यूपी को मिल रही है। इसके लिए अब तक 44 आक्सीजन एक्सप्रेस चलाई जा चुकी है। सड़क के रास्ते भी ऑक्सीजन बोकारो से यूपी के जिलों में लाई जा रही है। सरकार के इन प्रयासों के चलते ही राज्य में ऑक्सीजन की आपूर्ति की स्थिति काबू में आती जा रही है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में हालात बेहतर होंगे।