अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर उत्तर प्रदेश सरकार में श्रम एवं सेवायोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाएं, उनसे मजदूरी न कराएं। यह बातें शनिवार को उन्होंने कालिदास मार्ग स्थित आवास में विभागीय अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक में कही। इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों को बच्चों के माता-पिता व नियोक्ता को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं।
श्री मौर्य ने कहा कि बाल श्रम एक लोक कल्याणकारी सरकार के लिए चुनौती है तथा सभ्य समाज के लिए अभिशाप भी है। बाल श्रम मजदूरी पर रोक लगे, इसके लिए सभी को मिल-जुलकर सशक्त पहल करनी होगी। उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन के लिए हाट, बाजार, गांव, शहर, कस्बों में जन जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही बाल श्रमिकों के माता-पिता एवं नियोक्ता को भी जागरूक करने के निर्देश दिए।
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उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक परिवार के ऐसे सदस्य जो निर्माण श्रमिक की पात्रता में आते हैं, उन्हें उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जाएगा तथा शेष श्रमिकों को उप्र सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को 1000 तथा प्रति बालिका 1200 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 20 जिलों में यूनीसेफ के सहयोग से तथा समाज के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की सहायता से नया सवेरा योजना का संचालन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से कामकाजी बच्चों को कार्य से पृथक कर विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाता है तथा उनके माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से लाभान्वित किया जाता है।
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इस अवसर पर यूनिसेफ चीफ रूथ लियानो ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी के कारण 2022 के अंत तक 09 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा है। इन्हें सामाजिक सुरक्षा ना मिलने पर यह संख्या और भी बढ़ सकती है। उन्होंने आईएलओ और यूनिसेफ की ओर से बाल श्रम को पूर्णतया रोकने का आग्रह किया। उन्होंने सार्वभौमिक बच्चों के हितलाभ, सभी के पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा, कोविड-19 के बाद गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर खर्च में वृद्धि और सभी बच्चों को वापस स्कूल में लाना कैसे सुनिश्चित हो, इस पर बल दिया।