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रामपथ निर्माण के लिए 30 से अधिक मंदिरों और 14 मस्जिदों को लोगों ने खुद तोड़ा, लेकिन अब….

Rampath

Rampath

अयोध्या। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर बन रहा है तो बड़ी संख्या में लोगों का आवागमन भी शुरू हो गया है। इसको लेकर अलग-अलग मार्ग बनाए जा रहे हैं और उन्हें चौड़ा किया जा रहा है। इसी में एक रामपथ (Rampath) भी है, जिसकी जद में लगभग 30 से अधिक मंदिर और 15 मस्जिद और मजार आ गए हैं।

दुखी मन से ही सही अधिकतर लोगों ने अपने मंदिर और मस्जिद खुद तोड़ लिए, लेकिन इसी बीच एक खजूर वाली शिया मस्जिद की वजह से पेंच फंस गया है। अब इसका विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट ने इस मामले को और सुर्खियों में ला दिया है।

अयोध्या धाम से फैजाबाद तक लगभग 13 किलोमीटर तक रामपथ (Rampath)  का निर्माण किया जा रहा है। भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ की अपेक्षा यह सबसे लंबा पथ है। यही कारण है कि इसके चौड़ीकरण की जद में बड़ी संख्या में मंदिर और मस्जिद आ गए हैं।

व्यस्त शहर के बीच होने के कारण आसपास ऐसी कोई जमीन भी नहीं है, जिसको प्रशासन मस्जिद को आगे पीछे खिसकाने के लिए दे सके। लिहाजा यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। हालांकि अभी भी आपसी सामंजस्य की गुंजाइश बाकी है।

मस्जिद कमेटी संयोजक एडवोकेट इसरार अहमद ने कहा कि मसला यह है कि रामपथ (Rampath) का काम चल रहा है, यह आपको पता ही है। गुदड़ी बाजार के पास एक मस्जिद है, जो लगभग ढाई सौ साल पुरानी है। इसको मेहंदी हसन ने तामीर कराया था। इसका ढाई मीटर हिस्सा रामपथ की जद में आ रहा है। सरकार उसको तोड़कर रामपथ बनाना चाहती है।

इसरार अहमद ने कहा कि हमारी सरकार से यही अपील है कि उसके अपोजिट साइड जगह ले ले तो हमारी मस्जिद महफूज हो सकती है। बहुत सारे लोग जो बाहर से भी आते हैं, यहां नमाज अदा करते हैं। यह हमारे इमोशन का भी सवाल है। हमने बहुत प्रार्थना की, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो हमने 1 मार्च को हाईकोर्ट में अपील फाइल की है। इसमें शिया वक्फ बोर्ड को और जिलाधिकारी अयोध्या के साथ पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर को पार्टी बनाया है। पीडब्ल्यूडी और जिलाधिकारी ने अपना पक्ष रख दिया है। शिया वक्फ बोर्ड ने अभी जवाब नहीं दाखिल किया है।

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मस्जिद कमेटी के संयोजक एडवोकेट इसरार अहमद ने कहा कि देखिए अभी तक तो मस्जिद और कब्रिस्तान जो तोड़े गए हैं, वह लगभग 14 हैं, यह 15वीं है। लगभग 40 से 45 मंदिर तोड़े गए हैं, जिनका ज्यादा हिस्सा जा रहा था, उसमें हम लोगों ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह प्रशासन के लिए असंभव था, लेकिन कोई मंदिर या मस्जिद एक से 2 फिट या 2 मीटर तक जा रही है तो इतना सरकार को लचीलापन होना चाहिए। हम लोगों की आस्था का ख्याल रखें और इबादतगाहों को सुरक्षित कर दें, अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनती है तो यही मेरी फरियाद है।

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