नई दिल्ली| भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को कोरोना वायरस महामारी से दबाव में आये वाहन, बिजली, उड्डयन और पर्यटन सहित 26 क्षेत्रों के कर्जदारों को कुछ स्पष्ट वित्तीय कसौटियों के आधार पर ऋण पुनर्गठन की छूट दिए जाने की अनुमति दी है। केंद्रीय बैंक ने पांच वित्तीय अनुपात तय किए हैं और अलग अलग क्षत्रों के लिए अलग अलग दायरे भी तय किए हैं जिनमें ऋण पुनर्गठन किया जा सकता है।
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रिजर्व बैंक ने 7 अगस्त को बैंकिंग क्षेत्र की जानीमानी हस्ती केवी कामत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति को कोविड- 19 से संबंधित दबाव वाली संपत्तियों के समाधान के नियम कायदे के बारे में सुझाव देने को कहा गया था। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के लिये क्षेत्रवार दायरा बताने को भी कहा गया था।
रिजर्व बैंक के सोमवार को जारी सर्कुलर के मुताबिक समिति ने चार सितंबर को रिजर्व बैंक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी, उसी के आधार पर रिजर्व बैंक ने दबाव वाले कर्जों के समाधान के लिये निर्देश जारी किये हैं।
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टैक्समैन के उप महाप्रबंधक रचितशर्मा ने रिजर्व बैंक के सर्कुलर पर प्रतिक्रिया में कहा कि इस व्यवस्था का सबसे बेहतर पहलू यह है कि इसे समयबद्ध बनाया गया है। इसमें रिण समस्या के समाधान के हर स्तर के लिये समयसीमा तय की गई है। उदाहरण के तौर पर योजना का लाभ उठाने के लिये कर्जदार को 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन करना होगा।
शर्मा ने कहा कि इसके साथ ही एकबारगी पुनर्गठन की इस योजना में समाधान योजना को लागू करने के लिये 180 दिन की सख्त समयसीमा तय की गई है। कर्जदार के योजना के लिये आग्रह करने के दिन से 180 दिन के भीतर योजना पर अमल करना होगा। आवेदन के 30 दिन के भीतर सभी रिणदाताओं को अंतर रिणदाता समझौते पर हस्ताक्षर करने होंगे।