नई दिल्ली। अयोध्या में बन रही मस्ज़िद के ट्रस्ट में सरकारी प्रतिनिधि को भी रखने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक याचिका दायर करके कहा गया है कि पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारियों की हालिया बयानबाजी को देखते हुए चाहे सदस्य मुस्लिम ही हो, लेकिन वह सरकारी नुमाइंदे के तौर पर ट्रस्ट में रहे।
यह याचिका अयोध्या मामले में हिंदू पक्ष के एक वकील करुणेश शुक्ला ने अपने वकील विष्णु जैन के माध्यम से दायर की है।
उत्तर प्रदेश के सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या में आवंटित भूमि पर एक मस्जिद और अन्य सुविधाओं के निर्माण के लिए एक 15 सदस्यीय ट्रस्ट ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ बनाया है। अयोध्या विवादित भूमि मामले में पिछले साल नौ नवंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को विवादित भूमि को मंदिर निर्माण के लिए देने और एक ट्रस्ट का गठन करने का निर्देश दिया था।
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यह याचिका वकील करुणेश शुक्ला ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील विष्णु जैन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2019 के फैसले और वक्फ एक्ट के मुताबिक भी सर्व धर्म सम्भाव यानी सेक्युलर कार्यों के लिए सरकार अपना प्रतिनिधित्व निश्चित कर सकती है।
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याचिका में कहा गया है कि मंदिर की तरह मस्ज़िद के ट्रस्ट में भी सरकारी नुमाइंदे सुन्नी मुस्लिम पक्ष के होने चाहिए। इससे ट्रस्ट और वहां की गतिविधि पर सरकार की नजर रहेगी और शांति सुनिश्चित होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर उत्त रप्रदेश सरकार ने अयोध्या में मस्जिद के निर्माण के लिए एक भूमि आवंटित की है। इस भूमि पर मस्जिद और दूसरी सुविधाओं के निर्माण के लिए एक 15 सदस्यीय ट्रस्ट इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन बनाया है।