नई दिल्ली| विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा 30 सितम्बर तक आयोजित करने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की छह जुलाई की अधिसूचना के समर्थन में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दायर की गई।
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पुणे के एक प्रोफेसर डीआर कुलकणीर् ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप अर्जी दायर की है। यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि वह अपनी अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 3० सितंबर तक करवा लें। याचिका में कहा गया है कि यूजीसी की तरफ से जारी दिशानिर्देश छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कतई नहीं करते हैं।
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न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने 27 जुलाई को इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निदेर्श दिया था कि वह 29 जुलाई तक सभी याचिकाओं के संबंध में आयोग की तरफ से जवाब दायर करें। इस बीच एक अन्य मामले में शीर्ष अदालत ने विधि महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) की परीक्षा ऑनलाइन कराए जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।