नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाइजर इंक का दावा है कि उसने अपने कोविड-19 वैक्सीन के बारे में यूरोप की शीर्ष दवा नियामक एजेंसी को कुछ दस्तावेज सौंपे थे, लेकिन एजेंसी पर साइबर हमला हो गया है। फाइजर व उसकी जर्मन साझेदार बायोएनटेक ने एक साझा बयान में कहा कि उन्हें यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) द्वारा बताया गया था कि उनके प्रायोगिक वैक्सीन के लिए विनियामक को पेश डाटा में से कुछ, जो ईएमए सर्वर पर संग्रहित किए गए थे, उन्हें गैरकानूनी रूप से एक्सेस किया गया था।
दवा कंपनियों ने कहा कि हमले का टीका समीक्षा पर प्रभाव नहीं
दवा कंपनियों ने कहा कि घटना के सिलसिले में उनकी कोई भी प्रणाली भंग नहीं हुई है। वे इस बात से अनजान हैं कि किसी भी अध्ययन प्रतिभागियों की पहचान डाटा तक पहुंच के माध्यम से की गई है। फाइजर और बायोएनटेक ने कहा है कि ईएमए ने उन्हें सूचित किया कि हमले का टीका समीक्षा के समय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
फाइजर के शेयर बुधवार को न्यूयॉर्क में 1.7 प्रतिशत की गिरावट
यूरोपीय नियामक पहले से ही एक रोलिंग के आधार पर क्लिनिकल ट्रायल डाटा का मूल्यांकन कर रहे हैं और वर्ष के अंत तक इसे हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। इस बीच फाइजर के शेयर बुधवार को न्यूयॉर्क में 1.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 41.85 डॉलर पर बंद हुए।
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ईएमए ने शुरू की जांच
साइबर हमले के मद्देनजर ईएमए ने बुधवार को एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि उस पर हमला किया गया था और उसने कानून प्रवर्तन और अन्य संबंधित संस्थाओं के साथ जांच शुरू कर दी है।
मॉडर्ना को डाटा हैक की सूचना नहीं
वहीं एक अन्य अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना इंक का कहना है कि उसे डाटा ब्रीच के बारे में यूरोपीय नियामक से कोई सूचना नहीं मिली है। मॉडर्ना भी कोविड-19 के टीके का निर्माण कर रही है। हालांकि वह टीका लाने में फाइजर से थोड़ा पीछे है।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि हम उनके साथ काम में लगे हुए हैं और स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। मॉडर्ना आधुनिक साइबर सुरक्षा खतरों को लेकर अत्यधिक सतर्क है। फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना की दो-डोज वैक्सीन, एक नई तकनीक पर निर्भर हैं, जिसे मैसेंजर आरएनए कहा जाता है। बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ने कंडीशनल मार्केटिंग ऑथराइजेशन के लिए ईएमए से संपर्क किया है।