नई दिल्ली। भारतीय विज्ञापन जगत के शिखर पुरुष और रचनात्मक क्रांति के वाहक पीयूष पांडेय (Piyush Pandey) का गुरुवार को 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें भारतीय विज्ञापन का आत्मा और चेहरा माना जाता था। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। देश के बड़े दिग्गज नेताओं समेत कई लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। ओगिल्वी इंडिया के साथ अपने चार दशक के सफर में, उन्होंने भारतीय ब्रांडों को ऑथेंटिक और रिलेटिव नैरेटिव के माध्यम से आम लोगों से जुड़ने में मदद की। 1955 में जयपुर में जन्मे पांडे, क्रिकेट, निर्माण और टी टेस्टिंग के क्षेत्र में कुछ समय बिताने के बाद 1982 में ओगिल्वी में शामिल हुए। एजेंसी में उनका उदय उल्लेखनीय रहा – अंततः वे भारत में एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और ग्लोबल चीफ क्रिएटिव ऑफिसी बने। सरल, प्रभावशाली मैसेज के माध्यम से भारत की भावना को व्यक्त करने की उनकी क्षमता ने उन्हें घर-घर में जाना जाने वाला नाम बना दिया और उन्हें ग्लाेबल पहचान दिलाई।
विज्ञापनों को बनाया रोजमर्रा की संस्कृति का हिस्सा
पांडे (Piyush Pandey) की रचनात्मक प्रतिभा ने विज्ञापनों को रोजमर्रा की संस्कृति का हिस्सा बना दिया। कैडबरी के ‘कुछ ख़ास है’, फेविकोल के ‘मज़बूत जोड़’ और एशियन पेंट्स के ‘हर घर कुछ कहता है’ के लिए उनके काम ने मार्केटिंग की सीमाओं को पार करते हुए भारतीय जीवन के भावनात्मक प्रतीक बन गए। ऐसे कैंपेंस के जरिए, उन्होंने शुरुआती विज्ञापनों के एलीट इंग्लिश टोन को गर्मजोशी, हास्य और असली भारत की स्थानीय लय से बदल दिया।
उनके साथ काम करने वाले लोग अक्सर कहते थे कि पांडे (Piyush Pandey) ने भारत को सिर्फ बेहतर विज्ञापन बनाना ही नहीं सिखाया – बल्कि उन्होंने उसे अपनी कहानियां खुद कहना भी सिखाया।
भारतीय विज्ञापन के दिग्गज और प्रेरक : सीतारमण
पीयूष पांडे (Piyush Pandey)के निधन पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर शोक व्यक्त किया। उन्होंने पीयूष पांडे (Piyush Pandey)को भारतीय विज्ञापन के दिग्गज और प्रेरक बताया और कहा कि उन्होंने रोजमर्रा की भाषा, सटीक हास्य और सच्ची गर्मजोशी को विज्ञापन में बखूबी पेश किया। उन्होंने पांडे के परिवार और पूरे रचनात्मक समुदाय के प्रति संवेदना व्यक्त की।
पीयूष पांडे भावनाओं के मास्टर कहानीकार : स्मृति इरानी
भाजपा की वरिष्ठ नेता स्मृति इरानी ने उन्हें सिर्फ विज्ञापन बनाने वाले नहीं, बल्कि भावनाओं के मास्टर कहानीकार बताया, जिनकी कहानियों ने ब्रांड्स को इंसानी भावनाओं से जोड़ दिया।








