उत्तर प्रदेश की पुलिस अपने कारनामों से खाकी पर दाग लगाने से बाज नहीं आ रही है। मामला गोरखपुर की पुलिस का हो या कानपुर देहात पुलिस का, इनके कारनामों से खाकी बार-बार दागदार हो रही है और नायक बनने के चक्कर में खाकी समाज में खलनायक की भूमिका निभा रही है। कानपुर देहात में भी एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें छेड़खानी की आरोप लगाने वाली युवती और उसके भाई ने पिटाई कर दी।
सरकारें बदलती हैं, अधिकारी बदलते हैं, एक थाने से दूसरे थाने में थानेदार बदलते हैं लेकिन नहीं बदलती है तो पुलिस की कार्यशैली। पुलिस की बर्बरता समूचे प्रदेश में एक जैसी ही दिख रही है। एक तरफ सरकार कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए हर सम्भव कदम उठा रही है। वहीं कुछ लोग सरकार की छवि खराब करने के लिए वो कार्य कर रहें है जिससे उनके साथ विभाग पर भी दाग लग रहा है।
दरअसल, कानपुर देहात के थाना सिकंदरा के अंतर्गत आने वाले बुधौली गांव का पूरा मामला है। जहां पर दो वर्ष पहले शादी कर चुकी एक महिला ने अपने ससुरालीजन के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था। जिसके बाद मुकदमा न्यायालय में विचाराधीन है महिला ने पति पर मायके से बाइक चुराने का आरोप लगा प्रार्थना पत्र दिया था। जिसके बाद पुलिस ने दोनों ही पक्षों को थाने में बुलाया और बुलाने के बाद पीड़िता पर समझौते का दबाव बनाया गया।
आरोप है कि पीड़िता ने समझौता करने से साफ इनकार कर दिया तो थाने में तैनात कार्यवाहक प्रभारी ने पीड़िता के साथ अभद्रता की। पीड़िता के भाई ने जब इस पूरे मामले की अपने मोबाइल में वीडियो रिकॉर्डिंग करना शुरू कर दिया तो पुलिस वालों ने पीड़िता के भाई को भी थाने में बेरहमी से पीट दिया। पुलिस के इस व्यवहार से पीड़िता इतनी दुखी हो गई कि उसे पुलिस की न्याय प्रणाली से विश्वास उठ गया।
हालांकि पुलिस तब भी नहीं मानी और पीड़िता और उसके भाई को बर्बरता के साथ थाने में मारती रही। किसी तरीके से पीड़िता और उसका भाई जब थाने के बाहर निकले तो पुलिस वालों ने उसके मोबाइल में रिकॉर्ड हुई रिकॉर्डिंग को डिलीट भी कर दिया और मोबाइल भी तोड़ दिया। इस पूरी पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें सिकंदरा थाने के सीसीटीवी में कैद हो गई। जिसके लिए पीड़िता बार-बार कहती रही कि सारे प्रमाण कैमरे में कैद हैं लेकिन देखने वाला कोई भी नहीं और पीड़िता ने कहा पुलिस उस सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को भी डिलीट कर सकती है।
इस पूरे मामले में अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि यह मामला पारिवारिक विवाद का था और दोनों ही पक्षों को समझौते के लिए बुलाया गया था। जिसके बाद आरोप लगाने वाली पीड़ित महिला ने पुलिस पर दबाव बनाया और उससे उसके फेवर में फैसला करने की बात कही जिसके बाद पुलिस वालों के इंकार करने पर पीड़ित महिला ने पुलिसकर्मियों और अपने ससुराली जनों पर तमाम आरोप लगाए हैं। जो पुलिस की जांच में प्रथम दृष्टया असत्य पाए गए हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि इस पूरे मामले की जांच क्षेत्राधिकारी सिकन्दरा से कराई जा रही है। अगर कोई साक्ष्य सामने आता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।