मेरठ। लव जिहाद में मां-बेटी को मौत के घाट उतारने वाले शातिर शमशाद अली का असली चेहरा क्या है, पुलिस के लिए यह पता लगाना चुनौती है। तीन महीने तक परतापुर पुलिस जांच का नाटक ही करती रही। लेकिन यह तक पता नहीं लगा पाई कि लाखों में खेलने वाले शमशाद का काम धंधा क्या है। उसके पास इतनी सम्पत्ति कहा से आई और उसका असली चेहरा क्या है?
इस पूरी कहानी में कुछ बातें चौंकाने वाली सामने आई हैं। शमशाद ने प्रिया को बताया था कि वह किताबों पर बाइंडिंग का काम करता है। लेकिन उसके शाही खर्चे थे। उसके पास चार मकान हैं। शमशाद ने प्रिया को कांशीराम कॉलोनी में मकान खरीदकर दिया था। लेकिन पोल खुलने के बाद वह परतापुर के भूडबराल नई बस्ती में आकर रहने लगा था। यहां उसने जो मकान खरीदा उसकी कीमत इस समय 40 लाख से ज्यादा है। एक मकान मेरठ शहर के अलावा मोदीनगर में है। मोदीनगर में ही एक बड़ा प्लॉट है।
राम मंदिर भूमि पूजन पर उठा सवाल तो उमा भारती बोलीं- राम के काम में कैसा मुहूर्त
शमशाद ने दो मकान प्रिया के नाम किए थे। प्रिया ने बेटी का एडमिशन देहरादून के स्कूल में कराया था। शमशाद उसे अलग से पांच हजार रुपये महीने का खर्चा देता था। यह बातें प्रिया अपनी सहेली चंचल को फोन पर बताती रहती थी। 28 मार्च को शमशाद 2.80 लाख रुपये घर लेकर आया था, जिसको लेकर शमशाद और प्रिया में झगड़ा हुआ था।
वहीं, शमशाद की पत्नी अफसाना भी बिहार में रह रही थी। उसका खर्चा अलग से था। अफसाना जब मेरठ आई थी तो शमशाद ने उसे इंदिरापुरम परतापुर में मकान लेकर दिया। सवाल उठ रहे हैं कि शमशाद का ऐसा कितना बड़ा व्यापार था, जो इतना खर्चा कर रहा था। पुलिस के अनुसार इस बिंदु की जांच की जा रही है।