सोनभद्र। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश में बिजली संकट (Power Crisis) गहराने लगा है। बृहस्पतिवार की रात 10 बजे के बाद कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बिजली उत्पादन में तेजी से गिरावट आई है। राज्य उत्पादन निगम की कई इकाइयां बंद पड़ गई हैं। जिन इकाइयों का संचालन हो रहा है, उससे भी उत्पादन तय क्षमता से काफी कम हो रहा है। बिजली की मांग पूरी करने के लिए निगम को निजी परियोजनाओं और सेंट्रल पूल से महंगी बिजली लेनी पड़ रही है। हड़ताल के शुरुआती असर के साथ ही संकट बढ़ने की आशंका बढ़ने लगी है।
राज्य उत्पादन निगम की सबसे बड़ी 2630 मेगावाट वाली अनपरा परियोजना से मौजूदा समय में सिर्फ 1400 मेगावाट बिजली ही बन पा रही है। अनपरा-बी की 500 मेगावाट की पहली इकाई अनुरक्षण कार्य के चलते पहले से बंद है। दूसरी इकाई से 464 मेगावाट उत्पादन हो रहा है।
इसी तरह अनपरा-डी (Anpara-D) की 500-500 मेगावाट की दोनों इकाइयों से 941 मेगावाट बिजली बन रही है। इन दोनों इकाइयों को NTPC ने रात में ही हैंडओवर कर लिया था। अनपरा-ए को हैंडओवर लेने से इनकार के बाद इस परियोजना के 210 मेगावाट की दो इकाइयों को बॉक्स अप (बंद) कर दिया गया है।
गुल हुई बिजली
तीसरी इकाई अनुरक्षण पर है। इसी तरह 1000 मेगावाट क्षमता वाली ओबरा परियोजना से उत्पादन घटकर सिर्फ 220 मेगावाट रह गया है। परियोजना की 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों में से महज दो इकाइयों से बिजली उत्पादन हो रहा है। इसमें भी 12वीं इकाई से 106 मेगावाट एवं 13वी इकई से 115 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा था।
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निगम की अन्य परियोजनाएं भी हड़ताल से प्रभावित हैं। 72 घंटे की हड़ताल शुरू होने के 12 घंटों के भीतर ही परियोजना का बिजली उत्पादन लड़खड़ा गया है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि हड़ताल से प्रदेश में आगे बिजली संकट गहरा सकता है। उधर, बिजली कर्मी भी अपनी मांगों के समर्थन में डटे हुए हैँ। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सीआईएसएफ एवं स्थानीय प्रसाशन मुस्तैद है।