लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में प्रधानमंत्री आवास योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। इसे कोरोना का असर मानें या कुछ और, लेकिन हकीकत यही है कि लखनऊ में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए एलडीए को पर्याप्त आवेदन नहीं मिल रहे हैं।
हालत यह है कि अब तक फ्लैटों की संख्या से भी कम आवेदन आए हैं। एलडीए दो योजनाओं में 4512 प्रधानमंत्री आवास बना रहा है। वहीं अंतिम तारीख से तीन दिन पहले तक केवल 3270 आवेदन ही एलडीए को मिले हैं। अब एलडीए इसकी वजह का आंकलन करने में जुटा है। एलडीए ने जुलाई के अंत में 25 सितंबर तक के लिए 4512 प्रधानमंत्री आवास के लिए पंजीकरण खोले थे। ये पंजीकरण पीजीआई के पास शारदानगर विस्तार योजना और बसंतकुंज योजना के सेक्टर एन में बन रहे प्रधानमंत्री आवास के लिए हैं।
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एलडीए को उम्मीद थी कि फ्लैटों की संख्या से अधिक आवेदन आएंगे। इसके उलट फ्लैटों की संख्या के बराबर भी आवेदन नहीं आए। यह उस समय है जबकि एलडीए ने डिमांड सर्वे कराने के बाद राजधानी में खुद 10 हजार प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने की तैयारी की है। वहीं आवास विकास परिषद को भी प्रधानमंत्री आवास बनाने हैं।
एलडीए के आवासों की गुणवत्ता अच्छी
आवेदन कम आने की एक वजह यह भी हो सकती है कि पहले पीएम आवास की कीमत 4.50 लाख रुपये ही तय थी। निर्माण की लागत अधिक होने के चलते एलडीए ने यह कीमत बढ़ाकर 6.51 लाख रुपये कर दी। लेकिन आवेदक को 2.50 लाख रुपये ही सब्सिडी मिलनी थी। परिणाम यह हुआ कि दो लाख रुपये की जगह अब आवेदक को 4.01 लाख रुपये देने होंगे। वहीं आवेदन कम आने की वजह पितृ पक्ष भी हो सकता है।
प्रभारी प्रधानमंत्री आवास पंकज कुमार का कहना है कि निजी बिल्डर बहुमंजिला निर्माण कर रहे हैं। वहीं एलडीए केवल चार मंजिला निर्माण में आशियाना देगा। इसमें गुणवत्ता भी बेहतर मिलेगी। टाइल्स, ग्रेनाइट, पीवीसी विंडो, अच्छी गुणवत्ता वाली कंपनियों की फिटिंग एलडीए अपने यहां देगा। वहीं बसंतकुंज में भी तेजी से काम चल रहा है। लोगों को समझना होगा कि एलडीए ही उनके लिए बेहतर विकल्प है। उम्मीद है कि अंतिम दिन में आवेदन बढ़ जाएं।