नई दिल्ली। बैंक अब कर्ज देने के पहले कृत्रिम मेधा (एआई) मशीन लर्निंग के जरिये ग्राहकों की वित्तीय हालत और लेनदेन की कुंडली खंगालेंगे। सरकारी क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने इसकी शुरुआत कर दी है। जबकि भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक समेत निजी क्षेत्र के बड़े बैंक इसकी तैयारी कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय ने इसकी अनुमति दे दी है। इसकी जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि पिछले वित्त वर्ष में संख्या के हिसाब से 28 फीसदी बैंकिंग धोखाधड़ी बढ़ी वहीं मूल्य के हिसाब से 159 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
बैंकों ने धोखाधड़ी बढ़ने और फंसा कर्ज (एनपीए) में इजाफा होने के बाद एआई के जरिये कर्ज देने के पहले ग्राहक की पड़ताल का फैसला किया है। इसके तहत बैंक ग्राहक की सोशल मीडिया प्रोफाइल खंगालने के साथ न्यूज आर्टिकल सहित कई बातों की भी पड़ताल करेंगे।
पिछले माह इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलॉजी (आईडीआरबीटी) की पहल पर वित्त मंत्रालय ने एक श्वेतपत्र जारी किया था जिसमें इसकी रूपरेखा तय की गई थी। इसमें बैंकिंग और वित्तीय संस्थान (बीएफएसआई) से एआई को बढ़ावा देने और इसे लागू करने की कवायद तेज करने की बात कही गई थी।
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आईडीआरबीटी ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर एक साझा योजना तैयार की है। इसमें पहले चरण के तहत बैंकों के लिए एआई के बारे में बेहतर जानकारी कर्मचारियों के साथ साझा करना है। इसके बाद इसे लागू करने से पहले नफा-नुकसान का आकलन करना है। दूसरे चरण के तहत सटीक डेटा जुटाना और कर्मचारियों का प्रशिक्षण शामिल है।
एआई डेटा और सटीक सूचनाओं के आधार पर विश्लेषण करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में 150 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं जो एआई के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा डेटा जुटाने वाले प्रशिक्षित लोगों और कई स्तर पर उसके विश्लेषण में पारंगत लोगों की जरूरत पड़ती है जिसकी अभी कमी है।
बैंक गड़बड़ी का पता लगाने के लिए एआई को लागू कर रहे हैं। एआई संदिग्ध पैटर्न के लिए लेनदेन को स्कैन करके, क्रेडिट जांच के लिए ग्राहकों की पहचान और जोखिम विश्लेषकों को अनुमति देकर धोखाधड़ी के जोखिम को कम करती है। कई बैंकों ने दावा किया है कि यह उन्नत तकनीक क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी की पहचान और रोकथाम की सूक्ष्मता में सुधार करती है। अधिकांश बैंक वास्तविक समय के लेन-देन विश्लेषण के लिए मशीन लर्निंग और एआई पर जोर दे रहे हैं।