वाराणसी। मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिकाघाट (Manikarnikaghat) पर रविवार को चिता भस्म (Chita Bhasm) होली (Holi) की तैयारी चलती रही। रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन चिता भस्म की होली महादेव अपने गणों के साथ खेलते है।
महाश्मशाननाथ सेवा समिति के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया कि इस बार चिता भस्म की होली 15 मार्च को खेली जायेगी। उन्होंने बताया कि काशी में ऐसी मान्यता है कि रंगभरी एकादशी पर अपने भक्तों के साथ होली खेलने के बाद दूसरे दिन भगवान शिव अपने गणों के संग महाश्मशान में चिता भस्म से होली खेलते हैं। इस बार मसान की होली में ब्रज और द्वारिका का नजारा दिखेगा।
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उन्होंने बताया कि अपराह्नन 11:30 बजे से शुरू होकर 12 बजे आरती के साथ ही मसाने की होली शुरू होगी। द्वारिका से आए संदेश के चलते इस वर्ष श्री कृष्ण के पसंद के रंगों को भी मसाने की होली में शामिल कर भस्म के साथ दिव्य होली खेलने की व्यवस्था की जा रही है।
नियमित कार्यक्रम के तहत आदि देव शंकर दोपहर में स्नान के लिए मणिकर्णिका तीर्थ पर पहुंचते हैं। स्नान के बाद महाश्मशान नाथ की आरती और बाबा को भस्म अर्पित किया जाता है।
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गुलशन कपूर बताते हैं कि शिवपुराण और दुर्गा सप्तशती में भी चिता भस्म की होली का उल्लेख मिलता है। काशी मोक्ष की नगरी है,यहां भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं। लिहाजा यहां पर मृत्यु भी उत्सव है और होली पर चिता की भस्म को उनके गण अबीर और गुलाल की भाँति एक दूसरे पर फेंककर सुख-समृद्धि-वैभव संग शिव की कृपा पाने का उपक्रम भी करते हैं।