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‘अमेरिका की आत्मा’ को पुनः स्थापित करेंगे राष्ट्रपति जो बाइडन

Joe Biden

Joe Biden

अभय कुमार ‘अभय’

जब 78-वर्षीय जो बाइडेन ने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली तो उन्होंने अपना हाथ एक पारिवारिक कलाकृति पर रखकर ऐसा किया जो उनके 50-वर्षीय राजनीतिक कॅरियर में उनके साथ रही है। एक मोटी बाइबिल जिस पर सेल्टिक क्रॉस बना हुआ है और जो उनके परिवार में 1893 से है। बाइडेन ने अमेरिका का सीनेटर और उप-राष्ट्रपति बनते समय भी इसी बाइबिल पर शपथ ली थी। इस बाइबिल में बाइडेन परिवार की प्रत्येक महत्वपूर्ण तिथि भी दर्ज है और अब इसमें 20 जनवरी 2021 की तारीख भी अंकित हो जायेगी, जब अमेरिकी इतिहास में जॉन एफ कैनेडी के बाद बाइडेन दूसरे कैथोलिक राष्ट्रपति बने। इसी वजह से उन्होंने अपना इनौगियुरेशन डे (शपथ दिवस) पर ब्लेयर हाउस (राष्ट्रपति गेस्ट हाउस) से पास की सेंट जॉन्स एपिस्कोपल चर्च पैदल जाने की परम्परा को तोड़ते हुए मोटरकेड से ब्लेयर हाउस से डाउनटाउन वाशिंगटन में सेंट मैथ्यू कैथेड्रल (जहां कैनेडी का जनाजा पढ़ा गया था) के मास में शामिल होकर शुरुआत की।

इसके अतिरिक्त एक अन्य ऐतिहासिक बात यह रही कि अमेरिका में पहली बार एक महिला उप-राष्ट्रपति बनी। भारत-अफ्रीका मूल की कमला हैरिस 49वीं उप-राष्ट्रपति बनीं। गौरतलब है कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान बाइडेन ने अक्सर अपनी कैथोलिक आस्था का उल्लेख करते हुए वायदा किया था कि वह ‘अमेरिका की आत्मा’ को पुनः स्थापित करेंगे। यह काम असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है, क्योंकि अमेरिकी इतिहास में दो महाभियोगों का सामना करने वाले पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने पीछे इतनी समस्याएं (बल्कि गंदगी सही शब्द होगा) छोड़ गये हैं कि उनका समाधान (या सफाई) करने के लिए बाइडेन का चार वर्ष का कार्यकाल शायद पर्याप्त नहीं होगा।

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अमेरिका में 1993 से राष्ट्रपति के परफॉरमेंस की नियमित रेटिंग करने का चलन आरंभ हुआ। ट्रम्प अपने कार्यकाल के दौरान एक बार भी 50 प्रतिशत की रेटिंग हासिल न कर सके, उनकी औसत रेटिंग 41 प्रतिशत रही और वाइट हाउस में उनके अंतिम दिनों में तो यह मात्र 34 प्रतिशत थी। ट्रम्प ने जहां दिसम्बर 2020 में दर्जनों व्यक्तियों को आम माफी प्रदान की वहीं अपने कार्यकाल के अंतिम घंटों में अपने 143 करीबी भ्रष्ट नेताओं व बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स को आम माफी दी व जेल अवधि समाप्त की, जिनमें सैन्य ठेकेदारों से 2.4 मिलियन डॉलर रिश्वत लेने के दोषी पाए गये कैलिफोर्निया के रेनडल ‘डियूक’ कनिघम और स्टीव बेनन (ट्रम्प के पूर्व मुख्य योजनाकार) भी शामिल हैं। इससे दो बातें स्पष्ट हो जाती हैं- एक यह कि बड़ी संख्या में ट्रम्प के करीबी भ्रष्टाचार व अन्य कानूनी उल्लंघन में लिप्त थे और दूसरा यह कि ट्रम्प अपने अधिकारों का दुरूपयोग अपने करीबियों की मदद करने व उन्हें बचाने के लिए कर रहे थे।

पिछले 18 में से 11 वर्षों में आयकर अदा न करने वाले और अपने 2006 के अफेयर को छुपाने के लिए पोर्न स्टार स्टोर्मी डेनियल्स को 130,000 डॉलर देने वाले ट्रम्प ने अपने एकल कार्यकाल में फेडरल अदालतों में रिकॉर्ड 226 न्यायाधीशों की नियुक्ति की और तीन दक्षिणपंथी न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में भी नियुक्त किये, जिससे काफी समय के लिए न्याय का संतुलन दक्षिणपंथ की ओर झुका रहेगा। ट्रम्प अपने ट्वीटस से भी अपने फार-राईट समर्थकों को भड़काते रहे, जिसका चिंताजनक परिणाम 6 जनवरी को सामने आया, जब उनके समर्थकों ने कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) पर हिंसा करते हुए कब्जा करने का असफल प्रयास किया। नतीजतन अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने ट्रम्प पर प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिका को रंग व नस्ल के आधार पर विभाजित करने के अतिरिक्त ट्रम्प ने लगभग 125 पर्यावरण नियमों को कमजोर या निरस्त किया। ट्रम्प को बराक ओबामा से विरासत में मजबूत अर्थव्यवस्था मिली थी, लेकिन उन्होंने उसका इतना कचरा कर दिया कि एक सर्वे में 56 प्रतिशत अमेरिकी मतदाताओं ने कहा कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति चार वर्ष पहले अधिक बेहतर थी।

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इसके बावजूद ट्रम्प को अपने पुनः जीतने पर इस हद तक गलतफहमी थी कि उन्होंने न सिर्फ अभी तक अपनी हार नहीं स्वीकार की है बल्कि वह बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए और उनकी पत्नी मेलानिया ने वाइट हाउस के नये निवासियों के लिए परम्परागत टी का भी आयोजन नहीं किया। 1869 के बाद यह पहला अवसर है जब कोई राष्ट्रपति अपने उत्तराधिकारी के शपथ समारोह में शामिल नहीं हुआ है। सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की सिर्फ एक परम्परा (ओवल ऑफिस में बाइडेन के लिए नोट छोड़ना) का ही ट्रम्प ने पालन किया है। दिलचस्प यह है कि ट्रम्प ने अपनी रेड कारपेट विदाई और 21 तोपों की सलामी का स्वयं आयोजन किया (जिसमें उनके राष्ट्रपति माइक पेंस ने हिस्सा लिया) क्योंकि पेंटागन ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था।

इस पृष्ठभूमि में अमेरिकी मतदाताओं ने ट्रम्प के विवादित चार वर्षों की जगह उस अनुभवी व्यक्ति (बाइडेन) का चयन किया जिसने वाशिंगटन में चार दशक से अधिक गुजारे हैं। तो बाइडेन के समक्ष जबरदस्त चुनौतियां हैं जिनमें से कुछ प्रमुख यह हैं- ट्रम्प व कोविड-19 महामारी से मार खायी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है। कामकाजी परिवारों को तुरंत राहत देने के लिए बाइडेन ने 1.9 ट्रिलियन डॉलर का स्टिमुलस योजना का प्रस्ताव रखा है। बाइडेन ट्रम्प की टैक्स कटौती को भी खत्म करेंगे जो उनके अनुसार केवल रईस अमेरिकियों को ही फायदा करती हैं। ट्रम्प ने कोविड-19 (जिससे 4 लाख से अधिक अमेरिकियों की मौत हो चुकी है) को बहुत हल्के में लिया था, अब बाइडेन का लक्ष्य है कि अमेरिका को कोविड-19 से बचाने के लिए अपने कार्यकाल के पहले 100 दिन के भीतर 100 मिलियन लोगों का टीकाकरण कराएं। ट्रम्प के कारण जो अमेरिका में रंग व नस्ल भेदभाव का जख्म हैं उन्हें भरने की कठिन जिम्मेदारी भी बाइडेन की ही है।

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इसके अतिरिक्त बाइडेन को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने के बाद जो नई वास्तविकताएं सामने आयी हैं उनके अनुरूप भी एडजस्ट करना है, चीन को नियंत्रित करना है, ईरान से पुनः वार्ता करनी है, अनेक व्यापार विवादों को निपटाना है, इमीग्रेशन मुद्दों को हल करना है (अमेरिका में 11 मिलियन से अधिक अवैध अप्रवासी हैं), और ट्रम्प ने 2017 में जो मुस्लिम-बहुल देशों से यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था उसे पलटना है। जहां तक बाइडेन युग में अमेरिका के भारत से संबंध की बात है तो अनुमान यह है कि एशिया में चीनी शक्ति को संतुलित करने के लिए अमेरिका भारत से संबंधित अपनी नीति में कोई परिवर्तन नहीं लायेगा, इसलिए रक्षा संबंध इसी गति से जारी रहेंगे। लेकिन व्यापार संबंधों में परिवर्तन आना चाहिए क्योंकि ट्रम्प दोस्तों को भी आर्थिक नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आते थे, जैसा कि उन्होंने जीएसपी (जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज) के तहत भारत को मिलने वाले लाभों को स्थगित कर दिया था। इसलिए नई दिल्ली अमेरिका से व्यापार में यथास्थिति की नहीं बल्कि विस्तृत व्यापार समझौते की उम्मीद कर रही है। अगर अमेरिका के ईरान से संबंध बेहतर होते हैं तो भारत को इस लिहाज से लाभ होगा कि वह ईरान से फिर तेल लेने लगेगा, जिससे अपने यहां पेट्रोल की कीमत कम हो सकती है जो इस समय 100 रूपये प्रति लीटर के आस-पास मंडरा रही है।

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