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शहीद दरोगा के कातिल पर 50 हजार का इनाम घोषित, तलाश में लगी कई टीमें

daroga murder case

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आगरा में दारोगा की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी पर आईजी ए. सतीश गणेश ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। आरोपी को पकड़ने के लिए कई टीमें लगाई गई हैं। एडीजी राजीव कृष्ण के मुताबिक, पुलिस की कई टीमें आरोपी को पकड़ने के प्रयास में जुटी हैं। गुरुवार सुबह तक काफी जानकारियां मिल गई हैं और उम्मीद है कि जल्द आरोपी हिरासत में होगा।

ग्रामीणों की मानें तो आरोपी विश्वनाथ सनकी किस्म का था और आए दिन तमंचा लेकर घूमता था। घटना के समय भी वो तमंचा लहरा रहा था, तभी दारोगा प्रशांत यादव ने उसे पकड़ने का प्रयास किया था।

दारोगा प्रशांत यादव को राज्य सरकार ने शहीद का दर्जा देते हुए उनके परिवार की हर सम्भव मदद का आश्वासन दिया है। लेकिन दारोगा पर अपनी बहनों और चचेरी बहनों के साथ पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी थी, इसलिए परिजन 50 लाख और नौकरी की मदद को नाकाफी मान रहे हैं। परिजन आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ और मदद की मांग कर रहे हैं।

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2011 में सिपाही बनने के बाद 2015 में सीधी भर्ती परीक्षा पास कर दारोगा बने प्रशांत यादव के बीच के हर साथी उनकी बातें याद कर गमगीन हैं और आगरा में जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही, हर जगह आम जनता से उनका मृदु व्यवहार रहने के कारण आगरा की जनता भी इस कांड से काफी आहत है। वर्तमान पोस्टिंग खंदौली क्षेत्र में शहीद का पार्थिव शव जाते समय जनता ने सड़क पर खड़े होकर उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर श्रद्धांजलि दी।

आगरा के खंदौली के गांव नोहर्रा में विजय सिंह ने खेतों का बंटवारा कर दिया था। 10 बीघा बड़े बेटे शिवनाथ और 10 बीघा विश्वनाथ को देने के साथ ही 7 बीघा खेती अपने पास रखी थी। विजय का छोटा बेटा विश्वनाथ मां के साथ रहता था, पर पिता की खेती बंटाई पर करता था। इस बार पिता ने शिवनाथ को खेत बंटाई पर दे दिया था।

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बुधवार को खेत से आलू निकालने के दौरान विश्वनाथ और उसकी मां ने हंगामा किया था और सूचना पर पुलिस मौके पर गई थी। यहां पुलिस ने सख्ती बरतने के स्थान पर बिना कार्रवाई डांट-डपट कर मामला खत्म करवा दिया था। इसके बाद शाम को जब विश्वनाथ ने फिर हंगामा किया तो शिवनाथ द्वारा पुलिस कंट्रोल को फोन करने पर दारोगा प्रशांत यादव और सिपाही चंद्रसेन वहां पहुंचे थे। विश्वनाथ को पकड़ने के दौरान उसने दारोगा पर गोली चला दी। जिससे दारोगा की मौके पर मौत हो गई थी, अगर दिन में ही मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई हो जाती तो शाम को यह हृदयविदारक कांड नहीं हो पाता।

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