कृषि बिल के कानून बन जाने के बाद भी विरोध लगातार जारी है। पिछले दिनों एनडीए से अलग हुई शिरोमणी अकाली दल कल गुरुवार को पंजाब में किसान मार्च करेगी तो 4 जगह रेल जाम और 29 अलग-अलग स्थानों पर धरना प्रदर्शन भी किए जाएंगे। 31 किसान यूनियन और संगठनों ने बैठक कर संयुक्त रूप से प्रदर्शन करने का फैसला लिया। साथ ही माल्स, गोदाम, पेट्रोल पंप और कॉरपोरेट घरानों का घेराव किया जाएगा।
केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध के लिए पंजाब की 31 किसान जत्थेबंदियों ने आज बुधवार को संयुक्त रूप से बैठक की और 1 अक्टूबर (गुरुवार) को रेल रोको आंदोलन और अनिश्चिकालीन धरने का फैसला किया है, हालांकि इसका ऐलान किसान जत्थेबंदियां पहले ही कर चुकी हैं, इसलिए उन्होंने आज संयुक्त मीटिंग करके तैयारियां कीं और नेताओं की ड्यूटियां भी लगाईं।
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बैठक में जहां 1 अक्टूबर से ढाबलान (पटियाला), सुनाम (संगरूर), बुढलाडा (मानसा) और गिद्दड़बाहा (मुक्तसर) में अनिश्चितकाल के लिए रेल रोको आंदोलन शुरू करने का फैसला हुआ। वहीं कई जगह स्थायी धरना लगाने का फैसला किया गया है, जहां किसान 24 घंटे डटे रहेंगे, जब तक कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला नहीं हो जाता।
भारतीय किसान यूनियन (उगरांहा) के संगठन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि काले कृषि कानूनों ने कृषि क्षेत्र में कॉर्पोरेट्स को लूटने के लिए दरवाजा खोल दिया है। मोदी सरकार देश के सभी खजाने को बहुराष्ट्रीय कंपनियों और उनके घरेलू दलालों, कॉर्पोरेट कारोबारियों को सौंपने पर तुली हुई है। इसलिए जहां एक ओर, भाजपा के नेताओं का घेराव किया जाएगा वहीं कॉरपोरेट घरानों के कामकाज का ठप किया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि किसान अपने खेतों और फसलों को हड़पने के लिए न केवल लुटेरों की कॉर्पोरेट योजनाओं को चुनौती देंगे, बल्कि उनके लूट के कारोबार पर नकेल कसने के लिए भी आगे आएंगे। जबकि इन व्यवसायों की घेराबंदी लॉटरी कानूनों को निरस्त करने का दबाव बनाएगी, लेकिन सार्वजनिक रूप से इस लूट को बर्दाश्त नहीं करने की घोषणा भी होगी।
उन्होंने कहा कि एक बड़े समूह ने खाद्यान्नों की खरीद और भंडारण के लिए पंजाब में बड़े गोदामों की स्थापना की है। यहां हमारी फसलों को दिन के उजाले में लूटा जाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को रक्षा खाद्यान्न वितरित करने के बजाए, इसे भारी मुनाफे के लिए विदेश में निर्यात किया जाना है। इन बड़े निजी गोदामों की घेराबंदी से यह संदेश जाएगा कि पंजाब में कृषि क्षेत्र और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को इस तरह बेकार नहीं होने दिया जाएगा।