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बिज के कोरोना संक्रमण पर सवाल

अनिल विज की तबीयत बिगड़ी Anil Vij's health deteriorated

अनिल विज की तबीयत बिगड़ी

सियाराम ‘शांत’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  देश को आश्वस्त किया है कि कुछेक हफ्तों में ही कोरोना के टीके मिलने लगेंगे और  चिकित्सा विज्ञानियों की अनुमति के बाद देश भर में कोरोना के टीके लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा है कि उम्मीद की जानी चाहिए कि कोरोना वायरस से मुक्ति का समय आ गया है लेकिन इस अवधि में बेहद सावधान रखने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा है कि कोविड-19 के विकसित हो रहे टीकों के सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं। यह संतोषजनक स्थिति है।

दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों की तादाद करोड़ों में पहुंच गई है। कुछ देशों में तो कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर भी आ चुकी है। कोरोना से लोगों के मरने का भी सिलसिला थमा नहीं है। भारत भी इसका अपवाद नहीं है। भले ही वहां कोरोना संक्रमितों और उससे मरने वालों की संख्या अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले कम हो। गुजरात उच्च न्यायालय ने तो मॉस्क न लगाने वालों को कोविड सेंटरों में भेजने और उनसे वहां कुछ दिन काम कराने के निर्देश दिए थे। यह और बात है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश के क्रियान्वयन पर रोक ला दी थी।

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इसमें शक नहीं कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए कुछ राज्यों में जितनी सावधानी और संजीदी बरती जा रही है, कुछ राज्यों में उतनी ही लापरवाही भी बरती जा रही है लेकिन कोरोना का टीका विकसित होने की खबर से भारत में काफी उत्साह है लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार को अंदेशा है कि कोरोना के टीकों के प्रभावों को लेकर कहीं कोई अफवाह न फैल जाए। इसीलिए उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी दलों के नेताओं से संवाद स्थापित किया है और उनसे आग्रह किया है कि कोविड के टीकों को लेकर किसी भी तरह की अफवाह न फैले। भ्रामक स्थिति सृजित न हो।

एक और खबर आ रही है कि स्वदेशी कोवैक्सिन का टीका लगाये जाने के बाद भी हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कोरोना संक्रमित हो गए हैं। यह बेहद चिंता का विषय है। अब इसे विज की सकारात्मक सोच ही कहा जाएगा कि इतना कुछ होने के बाद भी उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया है। उन्हें गत 20 नवंबर को पहली खुराक दी गई थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि कोविड का टीका कैसे काम करता है, इस बारे में विशेषज्ञ ही ज्यादा बेहतर जानते हैं। मुझे बताया गया है कि दूसरी खुराक के बाद एंटीबॉडी बनने लगती है और दूसरी खुराक पहली खुराक के 28 दिनों बाद दी जाती है। और, दूसरी खुराक के 14 दिनों बाद पूरी तरह से एंटीबॉडी बनती है। इसलिए यह पूरा चक्र 42 दिनों का होता है। इस अवधि में कोई सुरक्षा नहीं होती है।

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उन्होंने बताया है कि उनके गले में परेशानी है, बुखार और शरीर में दर्द है। उन्होंने अपने संपर्क में आए लोगों से कोरोना जांच कराने की अपील की है। कोरोनिल नामक इम्युनिटी बूस्टअप दवा बनाने वाले बाबा राम देव भी इस बीच उनके संपर्क में आ चुके हैं। जिस तरह देश में किसान आंदोलन चल रहा है और वहां सामाजिक दूरी और मॉस्क की उपेक्षा की जा रही है, वह स्थिति अत्यंत घातक है।

कोरोना संक्रमण से विकसित हो रहे टीके कितने कारगर होंगे, यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इतना  तो तय हैं कि उनके थोड़े से भी साइड इफेक्ट देश में अफवाहों को जन्म दे सकते हैं और अगर इस मुदछे पर जरा सी भी राजनीति हुई तो जनरोष को थामना सरकार के लिए बेहद मुश्किल हो जाएगा। अच्छा होगा कि सरकार और खास कर विकित्सा विज्ञानी टीके की इस 42 दिनों के चक्र में लोगों की सुरक्षा का प्रभावी विकल्प तलाशें, यही लोकहित का तकाजा भी है।

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