महाकुम्भ नगर। उत्तर प्रदेश की धरती पर स्थित तीर्थराज प्रयागराज का त्रिवेणी संगम इस समय सकल विश्व के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रतिदिन लाखों की तादात में यहां स्नानार्थी संगम में स्नान करके खुद को धन्य मान रहे हैं। ऐसे में, जहां शुक्रवार को महाकुम्भ (Maha Kumbh) में श्रद्धालुओं की संख्या मात्र एक महीने के आयोजन के अंदर 50 करोड़ की संख्या को पार कर चुकी है, वहीं इसको लेकर कुछ राजनीतिक दलों ने अनावश्यक टिप्पणी कर पॉलिटिकल स्कोर सेट करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। ऐसे ही अनुचित प्रयासों पर प्रहार करते हुए जेडीयू के नेता राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) ने बड़ी बात कही है।
महाकुम्भ (Maha Kumbh) को लेकर अनुचित टीका-टिप्पणी कर रहे राजनीतिक दलों को नसीहत देते हुए राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) ने कहा कि धार्मिक मामलों पर अनावश्यक टिप्पणी से लोगों के दिलों में जगह बनाना मुश्किल होता है, ऐसे में इस प्रकार के अनुचित प्रयासों से राजनीतिक दलों को बचना चाहिए।
सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों के लिए बड़ा पल
जेडीयू नेता राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) ने शनिवार को कहा कि जो भी सनातन धर्म में विश्वास रखते हैं, उन्होंने इस महाकुंभ में भाग लिया है। यह विश्व का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जहां 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु एकत्रित हुए हैं। यह दर्शाता है कि सनातन मान्यताओं को मानने वालों के लिए यह कितना बड़ा क्षण है। यह मानवता और एकता का संदेश है। उनके अनुसार, इस क्षण पर विपक्षी राजनीतिक दलों को मर्यादा का मान रखना चाहिए।
अनावश्यक टिप्पणियों के कारण लोगों की नजरों में गिरते हैं राजनीतिक दल
राजीव रंजन (Rajiv Ranjan) के अनुसार, विपक्ष को संख्याओं पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जब भी कोई राजनीतिक दल धार्मिक मामलों पर अनावश्यक टिप्पणी करता है, तो उसे लोगों के दिलों में जगह बनाना मुश्किल हो जाता है। यह राजनीति के लिहाज से तो गलत है ही इससे राजनीति करने वाले दलों के सामने भी भविष्य का संकट खड़ा हो सकता है और यही कारण है कि आज विपक्ष से जनता का मन भर चुका है और लाख प्रयास के बावजूद भी वह न तो जनता की भावना समझ रहे हैं और न ही उस भावना के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। ऐसी अनावश्य टिप्पणियां जनता के नजरों में और गिरा देती हैं।
व्यवस्थायें अच्छी, इसीलिए तो लोग आ रहे हैं
महाकुम्भ-2025 को लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष और कानपुर से बीजेपी के विधायक सतीश महाना ने बड़ी हात कही है। महाकुम्भ जैसे बड़े आयोजन में दुर्भाग्यवश कोई दुर्घटना होती है और एक भी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो यह दुखद है।
हालांकि, इसके बावजूद जो संदेश यहां से पूरे देश में गया है और जो लाखों लोग बाद में आ रहे हैं, इसका अर्थ है कि व्यवस्थाएं अच्छी हैं और लोग इससे न केवस संतुष्ट हैं बल्कि वह खुद इसका साक्षी बनने के उत्सुक हैं।