अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस बुधवार को उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया गया और इस दौरान नर्स के रूप में काम करने वाली महिलाओं और पुरूषों के योगदान को रेखांकित किया गया।
नर्सिंग को अपने करियर के रूप में अपनाने वाले महिला और पुरूष यूं तो हर समय मानव सेवा में तत्पर रहते हैं लेकिन कोरोना महामारी के इस काल में तो इस वर्ग से जुड़े अधिकतर लोग दिन रात मरीजों की सेवा में लगे रहे । इस दौरान वे खुद भी संक्रमित हुए लेकिन ठीक होने के बाद दोबारा ड्यूटी पर आये और अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निवर्हन किया। इस जीवटता का नजारा आज भी कई स्वास्थ्य केंद्रों पर देखने को मिला जहां विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर मौजूद नर्सों ने नर्सिंग सेवा की संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर और केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया।
यूं तो नर्स का नाम सुनते ही दिमाग में एक युवती की छवि बन जाती है, लेकिन जनपद में राजकुमार नाम के एक ऐसे पुरुष नर्स हैं जो कोविड के शुरुआत से ही एक योद्धा के रूप में कार्य कर रहे है। जनपद के तहसील शहरी प्राथमिक केंद्र पर नियुक्त राजकुमार वर्ष 2016 से जनपद में कार्यरत है, कोविड के दौरान उनकी ड्यूटी पैरामेडिकल से लेकर प्रवासी मजदूरों की जांच के लिए लगाई गयी, फिर जेल में मरीज निकलने के बाद उनकी ड्यूटी जेल में भी लगाई गयी, जहां वह कोविड पॉजिटिव हो गए। उस समय उनके फेफड़ों में संक्रमण बढ़ जाने से उन्हे आईसीयू में भर्ती किया गया। स्वस्थ होते ही उन्होने फिर से काम करना शुरू कर दिया। जब पहली बार टीकाकरण शुरू हुआ था तब से ही राजकुमार की हर महत्वपूर्ण टीकाकरण में ड्यूटी लगाई जाती है। राजकुमार वर्तमान में टीकाकरण में अहम भूमिका निभा रहे है।
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केरल की निवासी नर्स ज्योति थॉमस कोविड के समय में गर्भवती महिलाओं को बेहतर सेवाएँ देने में तत्परता से जुटीं है। वह वर्ष 2019 से जिला महिला अस्पताल झांसी में कार्यरत हैं। पिछले 15 दिनों में लगभग 30 महिलाओं का प्रसव करा चुकी है। ज्योति बताती है कि कोविड के समय में गर्भवती को सुचारु सुविधा देना हमारी प्रमुखता है, कई बार महिला कोविड के लक्षण के साथ होती हैं और उसका एंटीजन नकारात्मक आता है। ऐसे में गर्भवती, उसके बच्चे और खुद को भी सुरक्षित रखना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। पिछले 15 सालों से मैं नर्स का कार्य कर रही हूँ, कोविड के समय में निरंतर ड्यूटी कर रही हूँ और पूरे कोविड अनुकूल प्रोटोकॉल अपनाने की वजह से अभी तक सुरक्षित हूँ।
बबीना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत कानपुर देहात निवासी अल्का पिछले छह वर्षों से जनपद में कार्य कर रही हैं। वह पति और बच्चों के साथ यही रह रही है, बहुत सतर्कता रखने के बाद भी पिछले साल पति कोरोना पाजिटिव हो गये थे, ऐसे में घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी मुझ पर ही आ गयी थी। नियमित प्रयास के साथ उस स्थिति से उबर पाये। अब फिर से कोविड का संक्रमण बढ़ रहा है, ऐसे में यदि कोई गर्भवती कोविड लक्षण के साथ आती है तो उसका प्रसव पीपीई किट पहनकर कराते है। अस्पताल में गर्भवती के प्रसव का मामला हो या कोविड अस्पताल में ड्यूटी करने का। दोनों जगह पूरी तन्मयता से ड्यूटी कर रहे हैं। कोरोना काल में गर्भवतियों को भी परेशानी हो रही है। ऐसे में अस्पताल आने वाली गर्भवती की ढांढस बांधने के साथ उन्हें कब क्या दवाइयाँ लेनी है, कैसे अपना और बच्चे का बचाव करना है इसकी जानकारी देती है।
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नर्सिंग सेवा की संस्थापक फ्लोरेंस नाईटिंगल के जन्मदिन 12 मई को हर वर्ष नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। वर्ष 1965 से यह दिवस अंतरराष्ट्रीय नर्स काउंसिल द्वारा नर्स दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर वर्ष के नर्स दिवस की थीम अलग- अलग होती है। इस वर्ष की थीम है “अ वॉइस टू लीड- अ विजन फॉर फ्युचर हैल्थ केयर यानि एक आवाज़ नेतृत्व की ओर- भविष्य की स्वास्थ्य सेवा के लिए एक दृष्टिकोण”।
वर्तमान में जनपद में कोविड-19 के दौरान सरकारी तंत्र में लगभग 195 नर्स कार्यरत हैं। इसके अलावा नर्सों की एक बहुत बड़ी संख्या प्राइवेट नर्सिंग होम्स आदि में भी कार्यरत है ।