नयी दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया को वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी दलोंं ने मंगलवार को भी राज्यसभा (Rajya Sabha) में जोरदार हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
उप सभापति हरिवंश ने जरूरी विधायी दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद सदस्यों को बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव के 34 नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि ये सभी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं हैं इसलिए इन्हें स्वीकार नहीं किया गया है।
इससे पहले उन्होंने सदन को बताया कि नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गत एक अगस्त को उन्हें एक पत्र लिख कर आसन के निकट सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती पर आपत्ति जतायी। इसी बीच विपक्ष के सदस्यों ने अपनी जगह से उठकर शोर शराबा शुरू कर दिया।
उपसभापति ने हंगामे के बीच ही कहा कि यह चिंता की बात है कि नेता विपक्ष ने अपना पत्र सभी मर्यादाओं को भूलकर मीडिया को भी जारी कर दिया। उन्होंंने कहा कि विपक्ष आसन की अपील के बावजूद बार बार नियमों का उल्लंघन कर कार्यवाही को बाधित कर रहा है। यहां तक कि विपक्ष के सदस्य सदन में अपनी बात रखने वाले सदस्यों की सीट पर जाकर वहां भी व्यवधान पैदा कर रहे हैं। यह नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि सदस्योंं को अपने आचरण पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आसन के निकट के स्थान की एक मर्यादा है लेकिन विपक्षी सदस्य उसका उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आसन के निकट केवल मार्शलों को ही तैनात किया गया है और यह बहुत पुरानी परंपरा है।
श्री हरिवंश ने कहा कि सुरक्षाकर्मी बिना किसी को नुकसान पहुंचाए अपना कार्य करते हैं। उन्होंंने कहा कि सदस्य अपनी सीट से अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल कर अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने नेता विपक्ष से कहा कि उनका लंबा संसदीय अनुभव है कि वह इन बातों पर विचार करें कि क्या यह उचित प्रक्रिया है। उन्होंंने कहा कि अनेक सभापति और उप सभापतियों ने इस तरह की घटनाओं को नियमों का उल्लंघन बताते हुए इस पर समय समय पर अपनी व्यवस्था दी हैं।
उन्होंने कहा कि इस सत्र में अब तक सदन में 41 घंटे से अधिक समय बर्बाद किया जा चुका है। सदन को चलाना पक्ष और विपक्ष की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने नेता विपक्ष से आग्रह किया कि वह सदस्यों को नियमों का उल्लंघन करने से बचने को कहें।
नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उन्होंंने सीआईएसएफ के जवानों की तैनाती का विरोध करने के लिए विपक्षी पार्टियों की ओर से पत्र लिखा था क्योंकि यह सदस्यों के लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा मामला है। उन्होंंने कहा कि विपक्ष इसकी निंदा करता है और उम्मीद है कि सीआईएसएफ जवान आगे से आसन के निकट नहीं आयेंगे।
उन्होंंने कहा कि उन्होंंने यह पत्र प्रेस नोट के लिए भी दिया था। उन्होंंने कहा कि व्यवधान भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। नेता विपक्ष ने कहा कि हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं और करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि आपको पत्र पर क्या आपत्ति है। उन्होंंने कहा कि संसद का स्टाफ सशक्त है आप पुलिस को ला रहे हैं।
इस पर उप सभापति ने दोहराया कि नेता विपक्ष को सदन को गुमराह नहीं करना चाहिए । आसन की सुरक्षा संसदीय सुरक्षा विभाग के लोग ही कर रहे हैं और यहां केवल मार्शल तैनात किये जाते हैं।