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राम मंदिर भूमिपूजन का दिन 15 अगस्त 1947 और करगिल विजय दिवस की तरह ही ऐतिहासिक

राम मंदिर

राम मंदिर

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन पर पूरी राम नगरी को सजाया गया है। राम मंदिर तीर्थ भूमि ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने मंदिर निर्माण की खुशी को 15 अगस्त 1947 जैसा ऐतिहासिक दिन बताया है। आज सारा देश उत्साहित है, आनंदित है। जैसे सारा देश प्रसन्न है कमोबेश मैं भी वैसा ही महसूस कर रहा हूं। लेकिन ये अवसर मेरे लिए इतिहास के परिवर्तन का काल है।

उन्होंने कहा, ये हमारे लिए उतना ही आनंद देने वाला है जितना 15 अगस्त 1947 का दिन रहा होगा। जितना करगिल की चोटी वापस लेने का आनंद रहा होगा। जितनी खुशी परमाणु परीक्षण करने पर भारत को हुई होगी। कोई भी देश अपने साथ गुलामी की निशानियां चिपका कर नहीं रखता। दुनिया में किसी ने नहीं रखी। यूरोप ने भी नहीं रखी, रूस ने भी नहीं रखी। अभी तक भारत के राजनेताओं ने गुलामी की निशानियों को हटाने का काम किया, राजसत्ता के माध्यम से। यह पहला प्रसंग है जब समाज ने 500 सालों तक निरंतर प्रयास करके गुलामी के चिह्न को हटाने के लिए न्यायपालिका की सहमति प्राप्त की है।

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शुभ मुहूर्त को लेकर उन्होंने कहा कि किसने क्या कहा उस पर मैं नहीं बोलना चाहता। मैं 1984 से देख रहा हूं। जो आज विरोध कर रहे हैं उन्होंने पहले भी विरोध ही किया था। उन्होंने किसी भी काम को अच्छा नहीं माना, इसलिए आज वो मुहूर्त को लेकर चर्चा कर रहे हैं। हम इससे बिल्कुल प्रभावित नहीं हैं।

वाराणसी के योग्य विद्वानों ने इस तिथि का चुनाव किया है। मैं समझता हूं यह बिल्कुल ठीक है। दूसरी बात प्रधानमंत्री जिस दिन आएं, वो ही शुभ दिन है। इस आपदा की घड़ी में वो तीन घंटे का समय निकालकर आएंगे वो बड़ी बात है. जिस दिन सारे देश का प्रतिनिधि आ रहा है वही शुभ दिन है, शुभ घड़ी है।

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राम मंदिर का नया मॉडल पहले वाले मॉडल से कितना अलग है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने 1986-87 में यह ड्राइंग तैयार की थी तब हमारे पास जगह नहीं थी। हमारे पास कुल 1500 वर्ग गज 14000 स्क्वायर फीट इतना ही प्लॉट था। और हमने मॉडल बना लिया था एक एकड़ का. हमने तो सोचा भी नहीं था कि 70 एकड़ जमीन मिल जाएगी।

प्रधानमंत्री मोदी के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक आ रहे हैं। जिस संघ ने इस आंदोलन को हिंदुस्तान के सम्मान से जोड़कर आगे बढ़ाने का काम किया। बहुत सारे संत भी आ रहे हैं।

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