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15 वर्ष से सजा काट रहे सपा नेता रिहा

Ramvriksh Yadav

Ramvriksh Yadav

संतकबीरनगर। जिला कारागार में हत्या मामले में पिछले 15 साल से सजा काट रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के तत्कालीन जिलाध्यक्ष एवं पार्टी के कद्दावर नेता रहे रामवृक्ष यादव (Ramvriksh Yadav) को इलाहाबाद उच्च न्यायायल के आदेश के बाद आज रिहा कर दिया गया।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर अपील में कोर्ट ने अवर न्यायालय के आजीवन कारावास के फैसले को रद्द करते हुए उन्हें हुए रिहा करने का आदेश पारित किया। हाईकोर्ट के आदेश पर आज उन्हें जिला कारागार संतकबीरनगर से रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद भावुक हुए श्री यादव ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि सत्य की जीत हुई लेकिन उनका एक लंबा जीवन बर्बाद हो गया।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान 25 जुलाई2005 को तत्कालीन जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी रामवृक्ष यादव का अपने पैतृक गांव तिघरा थाना धनघटा स्थित पोलिंग बूथ पर प्रधान पद के प्रत्याशी रहे महातम यादव से विवाद हो गया था। विवाद के दौरान हुई फायरिंग में महातम यादव को गोली लगी और उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना में रामवृक्ष यादव सहित कई लोग घायल भी हुए थे और केजीएमयू लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती हुए थे। इस घटना में तत्कालीन सपा जिलाध्यक्ष रामवृक्ष यादव, उनके अंगरक्षक प्रेम सिंह, सुभाष, मनोज, रामपूजन यादव, हनुमान यादव तथा वीरेंद्र के विरुद्ध थाना धनघटा में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था।

तत्कालीन बस्ती जनपद की सेशन कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसके विरुद्ध अभियुक्तों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील योजित की थी। लंबे अंतराल बाद अपील की सुनवाई के बाद सपा नेता रामवृक्ष यादव सहित सभी अभियुक्तों को निर्दोष बताते हुए उच्च न्यायालय ने उन्हें रिहा करने का आदेश पारित किया है। वर्ष 1980 मे सक्रिय राजनीति में आने के साथ रामवृक्ष यादव छात्र राजनीति की भट्ठी मे तपकर हीरालाल रामनिवास पीजी कॉलेज, खलीलाबाद के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए थे। इसी दरमियान जनता दल से जुड़ सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाले रामवृक्ष को जब नेता जी मुलायम सिंह यादव का सानिध्य प्राप्त हुआ तब वह तत्कालीन सपा नेता एवं पूर्व सांसद भालचंद्र यादव के साथ जुड़कर इलाके के बड़े नेताओं में शुमार होने लगे।

समय बीता और जब जनता दल से अलग होकर मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी तब बस्ती जिले से कट कर अलग हुए संतकबीरनगर जिले के जिलाध्यक्ष के रूप मे रामवृक्ष को बड़ी जिम्मेदारी मिली। स्वयं नेता जी भी रामवृक्ष यादव की प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता से वाकिफ थे इसलिए उन्हें जिले का जिलाध्यक्ष बनाया। इसके बाद हुए घटनाक्रम में उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा।

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