हिंदू धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन माह में रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) मनाई जाती है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी व्रत को सभी एकादशी व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हर एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस बाद पुष्य नक्षत्र के दौरान आमलकी एकादशी व्रत होने का कारण इसका धार्मिक महत्व बढ़ गया है।
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) तिथि का शुभ मुहूर्त
आमलकी या रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) की तिथि 19 मार्च को रात में 12.22 बजे शुरू होगी और 20 मार्च को रात में 2,23 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च 2024, बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, एकादशी व्रत का पारण 21 मार्च को दोपहर 1:31 बजे से शाम 4:07 के बीच किया जाएगा।
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) का धार्मिक महत्व
रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) महाशिवरात्रि पर्व के बाद मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह करने के बाद रंगभरी एकादशी के दिन काशी गए थे।
एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना हुआ था। रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर न सिर्फ महादेव की नगरी काशी बल्कि कृष्ण के ब्रज मंडली में भी रंगों का यह पावन पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।